हिमाचल में GST की न्यूनतम सीमा से व्यापारियों में रोष, इस दिन तैयार होगी रणनीति

Wednesday, Jul 12, 2017 - 05:37 PM (IST)

ऊना: हिमाचल प्रदेश में जी.एस.टी. के लिए 10 लाख रुपए की न्यूनतम सीमा निर्धारित किए जाने को लेकर व्यापारियों में रोष है। इस मामले को लेकर अब प्रदेश व्यापार मंडल 16 जुलाई को प्रदेशव्यापी आगामी रणनीति तैयार करेगा। इसके लिए बैठक पालमपुर में रखी गई है ताकि आगामी संघर्ष की रूपरेखा को तैयार किया जा सके। व्यापार मंडल के राज्य अध्यक्ष सुमेश शर्मा ने कहा कि हिमाचल के व्यापारियों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है, जिसे सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा व दिल्ली सहित अन्य राज्यों के लिए जी.एस.टी. की न्यूनतम सीमा 20 लाख रुपए रखी गई है जबकि हिमाचल में यह सीमा 10 लाख रुपए निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में भी इस न्यूनतम सीमा को 20 लाख रुपए कर दिया गया है, ऐसे में हिमाचल के व्यापारियों के साथ ही ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार प्रदेश के व्यापारियों के हितों की पूर्ति कर पा रही हैं। जब अन्य राज्यों में यह न्यूनतम सीमा 20 लाख रुपए है तो हिमाचल को इससे बाहर क्यों रखा गया है। 

कम्पोजैट स्कीम में भी व्यापारियों से दोहरा व्यवहार
उन्होंने कहा कि कम्पोजैट स्कीम में भी हिमाचल के व्यापारियों से दोहरा व्यवहार किया जा रहा है। इस पहाड़ी राज्य के व्यापारियों के लिए यह सीमा 50 लाख रुपए है जबकि पंजाब सहित अन्य राज्यों में इस सीमा को 75 लाख रुपए किया गया है। ऐसे भेदभाव के चलते हिमाचल के व्यापार पर बड़ा असर पड़ेगा जबकि पड़ोसी राज्यों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि पहले ही व्यापारी अनेक प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। अब दोहरी नीति के चलते उन्हें और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। व्यापारी वर्ग इस बात से भी परेशान है कि परचेज के समय यदि विक्रेता जी.एस.टी. का भुगतान नहीं करता है तो इसका खमियाजा भी उस व्यवसायी को भुगतने का प्रावधान है जो सामान खरीदकर लाया हो, ऐसे दोहरे प्रावधान व्यापारियों के हित में नहीं हैं। इन सभी मसलों को लेकर तमाम व्यापारी सांझा रणनीति तैयार करेंगे। 

अन्य राज्यों में सीमा पर से हटे बैरियर 
व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने कहा कि अन्य राज्यों में सीमा पर बैरियर हटाए जा चुके हैं, मार्कीट फीस को खत्म किया जा चुका है और ए.जी.टी., पी.जी.टी. एवं सी.जी.सी.आर. जैसे टैक्सों की वसूली की जा रही है। जब जी.एस.टी. को लागू किया जा चुका है तो तमाम प्रकार के बैरियर और अन्य टैक्सों को खत्म किया जाना चाहिए। पंजाब ने पहले ही ऐसे टैक्सों को खत्म कर दिया है, ऐसे में हिमाचल को भी यह टैक्स खत्म करने चाहिए। व्यापारी इस मांग को लेकर भी सरकार से मसला उठाएंगे। 16 जुलाई को होने वाली बैठक में प्रदेश भर से व्यापारी प्रतिनिधि पालमपुर पहुंचेंगे और इन मामलों को लेकर आगामी रणनीति तैयार करेंगे ताकि सरकार पर दबाव बढ़ाया जा सके।