यहां बंदरों का बढ़ा आतंक, खेतों में फसल छोड़ घास उगाने पर मजबूर हुए लोग

Saturday, Jul 28, 2018 - 03:56 PM (IST)

चम्बा: जिला में बंदरों की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है।  जहां ये बंदर लोगों को नुक्सान पहुंचाते हैं तो वहीं उनकी फसलों को भी बर्बाद कर रहे हैं। जिला के बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर लोगों ने फसल बीजना छोड़ अपने खेतों में मवेशियों के लिए घास उगाना शुरू कर दिया है। बंदर इतने निडर हो गए हैं कि वे लोगों के भगाने से भी नहीं भाग रहे हैं। बंदर लोगों के घरों में घुसकर उनके सामान को भी नुक्सान पहुंचाने लगे हैं। बंदरों के आतंक के चलते अभिभावकों को बच्चों को स्कूल तक छोडऩे जाना पड़ता है। 


धरी की धरी रह गईं सरकार की योजनाएं
बंदरों से निजात दिलाने के लिए सरकार द्वारा बहुत सी योजनाएं चलाईं गईं लेकिन वे सारी की सारी धरी की धरी रह गईं। बंदरों की नसबंदी पर सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए यहां तक कि हिमाचल प्रदेश के 2 जगह पर नसबंदी केंद्र खोले गए लेकिन उसके बावजूद इन बंदरों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस बात से यह साफ जाहिर होता है सरकार ने लोगों को बंदरों से निजात दिलाने के लिए अनेकों योजनाएं तो बनाई हैं लेकिन धरातल पर जो लोग इन योजनाओं को क्रियान्वित करते हैं वह किस तरह से इन योजनाओं की धज्जियां उड़ा रहे हैं उसका अंदाजा यहां बंदरों की बढ़ती तादाद को देखकर साफ लगाया जा सकता है।


नसबंदी के बाद रिहायशी इलाकों में छोड़े गए बंदर
जो लोग नसबंदी के लिए बंदरों को पकड़कर नसबंदी केंद्र लेकर आते थे वे लोग उन बंदरों को उसी जगह पर न छोड़ रिहायशी इलाकों में छोड़ कर चले जाते हैं, जिसकी वजह से बंदर लोगों को नुक्सान पहुंचा रहे हैं। चेहली व उसके आस पास लगते गांव के लोगों ने बताया कि बंदरों की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने बताया कि वे कई दशकों से अपने खेतों में इस समय मक्की की बिजाई करते थे लेकिन इन बंदरों की वजह से आज कल उन्होंने अपने खेतों में मक्की की जगह अपने मेविशयों के लिए घास उगाना शुरू कर दिया है।

Vijay