सेब के दाम में 50 पैसे की बढ़ौतरी ऊंट के मुंह में जीरा, बागवानों के दिल ‘टूटे’

Tuesday, Jul 10, 2018 - 06:57 PM (IST)

शिमला: राज्य सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना यानी एम.आई.एस. के तहत खरीदे जाने वाले सेब के दाम में मात्र 50 पैसे प्रतिकिलो की बढ़ौतरी की है। यह वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। इसके बाद अब सरकार बागवानों से निम्न क्वालिटी का सेब 7 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से खरीदेगी, जबकि आसमान छू रही महंगाई के इस दौर में प्रतिकिलो सेब की पैदावार पर उत्पादन लागत 20 से 25 रुपए आती है। किसान-बागवान हितैषी होने का दम भरने वाली तथा 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने वाली भाजपा सरकार ने मात्र 50 पैसे की बढ़ौतरी करके बागवानों को मायूस किया है।


50 पैसे की बढ़ौतरी से बागवान नाखुश
एम.आई.एस. स्कीम राज्य सरकार ने बाजार भाव गिरने की सूरत में बागवानों को राहत देने के लिए करीब दो दशक पहले शुरू की थी लेकिन हर बार इसके दाम में 25 से 50 पैसे की बढ़ौतरी की जाती है। बीते 3 सालों से बागवानों से एम.आई.एस. के तहत 6.50 रुपए की दर से सेब खरीदा जा रहा था। केंद्र सरकार द्वारा 14 कृषि उत्पादों पर डेढ़ गुणा एम.एस.पी. घोषित करने के बाद प्रदेश के बागवानों को भी एम.आई.एस. के तहत सेब के अच्छे दाम मिलने की आस बंधी थी। फल एवं सब्जी उत्पादक संघ तथा हिमाचल किसान सभा ने एम.आई.एस. के तहत कम से कम 10 से 12 रुपए मूल्य निर्धारित करने की मांग की थी। एम.आई.एस. के तहत सेब पर 50 पैसे की बढ़ौतरी से बागवान नाखुश हैं।


दाम को रिव्यू करे सरकार : चौहान
फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि हिमाचल में सेब की उत्पादन लागत बहुत ज्यादा है। इसे देखते हुए एम.आई.एस. के तहत सेब का मूल्य कम से कम 10 रुपए होना चाहिए। उन्होंने सरकार से इस निर्णय को रिव्यू करने की मांग की है।


50 पैसे की बढ़ौतरी बागवानों से धोखा : सिंघा
ठियोग के विधायक एवं किसान सभा के महासचिव राकेश सिंघा ने सेब के दाम में 50 पैसे की बढ़ौतरी को बागवानों से धोखा बताया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ  सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुणा करने की बात कर रही है, दूसरी तरफ बागवानों को उनकी उपज का सही दाम भी नहीं दिया जा रहा है।

Vijay