महाभारत काल का अनसुलझा रहस्य! हिमाचल के इस गांव में आज भी माैजूद हैं महाबली भीम के लाए वो अधूरे 'घराट के पाट'
punjabkesari.in Tuesday, Nov 18, 2025 - 12:44 PM (IST)
हमीरपुर (संजीव शर्मा): हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में टौणी देवी के समीप घासनियों (खेतों) में पड़े दो विशालकाय पत्थर आज भी लोगों के लिए कौतूहल और आस्था का केंद्र बने हुए हैं। इनका आकार इतना बड़ा है कि इन्हें देखकर हर किसी के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर ये यहां आए कैसे? इस सवाल का जवाब स्थानीय लोककथाओं में मिलता है, जो इन पत्थरों को सीधे महाभारत काल के पांडवों से जोड़ता है।
क्या है पौराणिक कथा?
जनश्रुतियों के अनुसार अपने वनवास काल के दौरान पांडव इस क्षेत्र में रुके थे। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें आटा पीसने के लिए एक पनचक्की (घराट) की आवश्यकता थी। इस कार्य को पूरा करने का जिम्मा महाबली भीम ने उठाया। कहा जाता है कि भीम इन दो विशाल पत्थरों को दूर किसी स्थान से उठाकर लाए थे, ताकि घराट के चक्के बनाए जा सकें। काम रात के अंधेरे में चल रहा था ताकि उनकी पहचान गुप्त रहे, लेकिन तभी पास के गांव में एक बूढ़ी महिला किसी कारणवश आधी रात को ही उठकर दही बिलोने लगी। दही बिलोने की आवाज सुनकर पांडवों काे लगा कि सुबह हो गई है और अब लोग उन्हें पहचान लेंगे। पहचान उजागर हाेने के डर से पांडव अपना काम अधूरा छोड़कर छिप गए। इस तरह सुबह होने के धोखे में यह घराट कभी पूरा नहीं हो सका।
आस्था और रहस्य का संगम
ये पत्थर आज भी पांडवों की उस अधूरी कहानी के गवाह बनकर वहीं मौजूद हैं। इन पत्थरों की विशालता और भार इतना अधिक है कि यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि इन्हें बिना किसी आधुनिक मशीनरी के यहां कैसे लाया गया होगा। स्थानीय लोगों का मानना है कि बहुत सारे लोग मिलकर भी इन्हें हिला नहीं सकते। यही बात इस लोककथा को और भी बल देती है कि इन्हें कोई महामानव या दैवीय शक्ति ही यहां लाई होगी।
हिमाचल में जगह-जगह सुनने को मिलती हैं पांडवों से जुड़ी ऐसी कहानियां
हालांकि, पांडवों से जुड़ी ऐसी कहानियां हिमाचल की वादियों में जगह-जगह सुनने को मिलती हैं और कई कहानियों में बूढ़ी औरत के दही बिलोने वाला प्रसंग भी आता है। यह बहस का विषय हो सकता है कि इन कहानियों में कितनी सच्चाई है, लेकिन ये कथाएं इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत का एक अटूट हिस्सा हैं। सच्चाई चाहे जो भी हो, लेकिन टौणी देवी के पास मौजूद ये विशाल पत्थर सिर्फ पत्थर नहीं, बल्कि इतिहास, मिथक और आस्था का जीवंत संगम हैं, जो आज भी महाबली भीम की शक्ति और पांडवों की उपस्थिति का एहसास कराते हैं।

