आय से अधिक संपत्ति मामले में वीरभद्र को झटका, कोर्ट ने खारिज की याचिका

Thursday, Oct 26, 2017 - 01:23 PM (IST)

दिल्ली/शिमला: आय से अधिक संपत्ति मामले में हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है। वीरवार को इस मामले में दर्ज एफआईआर रद्द करने की वीरभद्र सिंह की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने वीरभद्र की याचिका यह देखते हुए खारिज कर दी कि उसमें खामियां दूर नहीं की गईं और न ही उनकी ओर से कोई वकील कोर्ट में पेश हुआ। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था। उल्लेखनीय है कि इस मामले में पिछली 28 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान वीरभद्र सिंह पत्नी प्रतिभा सिंह सहित सात अन्य ने आवेदन दायर करके आरोप पत्र के साथ-साथ कुछ अन्य कागजात मांगे थे।


31 अक्टूबर तक टाल दी थी कोर्ट ने मामले की सुनवाई
कोर्ट ने इस दौरान जहां सीबीआई द्वारा दायर की गई चार्जशीट के दस्तावेजों की पड़ताल की, वहीं वकीलों द्वारा पेश की गई दलीलों के बाद मामले की सुनवाई 30 अगस्त के लिए निर्धारित की थी। 30 अगस्त को जब सुनवाई हुई तो कोर्ट ने इस मामले की डेट 31 अक्टूबर तक टाल दी। क्योंकि सीबीआई की दलील थी कि जांच अधिकारी कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं, ऐसे में कागजात हैंडओवर नहीं किए जा सकते। इसके चलते कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर तक टाल दी थी। लेकिन अब इस मामले की सुनवाई 26 अक्टूबर को हुई।


जानिए पूरा मामला
सी.बी.आई. का आरोप पत्र 500 से अधिक पन्नों का है जिसमें दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह तथा अन्य आय के ज्ञात स्रोत से 10 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति के मामले में फंसे हैं। सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री ने ये संपत्ति तब अर्जित की जब वे केंद्र के मंत्री थे। साल 2009 से 2012 तक वीरभद्र ने करीब 6.03 करोड़ रुपए अधिक की संपत्ति जमा की थी। ये संपत्ति वीरभद्र ने यूपीए शासन में केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कथित तौर पर एकत्र की। हालांकि वीरभद्र सिंह ने इन आरोपों से इनकार किया है। आई.पी.सी. की धाराएं 109 (उकसाने) और 465 (फर्जीवाड़ा के लिए सजा) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों को लेकर वीरभद्र सिंह और 8 अन्य के खिलाफ दाखिल रिपोर्ट में 225 गवाहों और 442 दस्तावेजों का जिक्र है। रिपोर्ट में आरोपी एल.आई.सी. एजैंट आनंद चौहान भी नामजद है जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। चौहान को धन शोधन से जुड़े एक अलग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल 9 जुलाई को गिरफ्तार किया था। यह विषय उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को हस्तांतरित कर दिया था, जिसने 6 अप्रैल, 2016 को सी.बी.आई. को वीरभद्र को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया था और उन्हें जांच में शामिल होने का आदेश दिया था।