Himachal: हमीरपुर और देहरा की घटनाओं ने झकझोरा प्रदेश, क्या सिर्फ सजा से बन जाएगी बात?
punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 01:50 PM (IST)
डैस्क: हमीरपुर और देहरा की घटनाएं सोचने पर मजबूर करती हैं। बैक टू बैक हुई इन दो घटनाओं ने झकझोर कर रख दिया है। हमीरपुर में एक नाबालिग ने एक महिला पर हमला बोलकर महिला को गंभीर रूप से घायल कर दिया। महिला की आज मृत्यु हो गई है। आरोप है के अपराधी जो नाबालिग है, महिला से यौन संबंध बनाना चाह रहा था, जिसका विरोध करने पर उसने महिला को बुरी तरह मारा। उधर, देहरा में शासन प्रशासन के बड़े दफ्तरों के समीप एक महिला ने एक बुजुर्ग को न सिर्फ बुरी तरह मारा बल्कि मुंह पर कालिख पोत डाली और जूतों की माला भी पहनाई। बताया जा रहा है कि किसी बात को लेकर बुजुर्ग ने महिला की शिकायत की थी। जांच होती इससे पहले महिला ने आपा खो दिया और बुजुर्ग को बुरी तरह मारा।
दोनों ही मामलों में एफआईआर हुई है। सम्भव है दोनों ही मामलों में अपराधी पाए जाने वालों के खिलाफ वैसी कार्रवाई भी हो जैसी जरूरी है। बिना शक यह गंभीर अपराध हैं और इनकी कड़ी सजा मिलनी चाहिए। सोशल मीडिया पर भी दोनों मामलों में कड़ी सजा दिए जाने की मांग हो रही है। होना भी ऐसा ही चाहिए, लेकिन इससे इतर समाज में यह बहस भी छिड़ गई है के आखिर जमाने को हो क्या गया है। हर कोई ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है। हम जा कहां रहे हैं आखिर, लेकिन एक सवाल मुंह बाए खड़ा हो गया है कि क्या सजा से बात बन जाएगी? क्या सजा देने से महिला जिंदा हो जाएगी? क्या सजा देने से बुजुर्ग को पहुंची वेदना कम हो जाएगी? और सबसे महत्वपूर्ण यह कि क्या इन दोनों को सजा मिलने से ऐसे अपराध बंद हो जाएंगे? शायद नहीं। सजा से अपराधियों को सबक मिलेगा, लेकिन ऐसे पुनरावृत्ति न हो इसके लिए हमें, आपको और पूरे समाज को आगे आना होगा।
आखिर क्या कारण हैं कि हमारे समाज में इतना कलुष घुल गया है। क्या यह सांस्कृतिक पतन है। क्या यह उस लड़के के परिजनों की भी कमी नहीं है कि वे अपने बच्चे में सही संस्कार नहीं डाल पाए। ऐसा क्या रहा कि महिला की उम्र भूल गई जबकि मामला जांच के अधीन था और उससे भी बड़ा मामला के जब बुजुर्ग को पीटा जा रहा था तो किसी ने बीचबचाव क्यों नहीं किया। घटना के पिटाई के तो बीसियों वीडियो एकसाथ लाइव हु, लेकिन हाथों में कैमरा पकड़ने वालों के पांव आगे बढ़कर बुजुर्ग काे छुड़ाने के लिए क्यों नहीं बढ़े। इसी तरह जब हमीरपुर में महिला पर हमला हुआ होगा तो निश्चित रूप से वो चीखी होगी..तो क्यों समाज वहां भी ऐसे ही अंधा-बहरा बना रहा। ये सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब ढूंढना होगा अन्यथा आगे चलकर और भी दिक्कत हो जाएगी क्योंकि अपराध किसी न किसी तरह की कमी से पैदा होते हैं।
यहां मामला संस्कारों में कमी का भी लगता है और संस्कार कानून नहीं सिखा सकता। कानून सिर्फ अपराध का दंड दे सकता है। कानून आपको चेतावनी दे सकता है कि आप कहीं गंदगी फैलाओगे तो जुर्माना होगा, लेकिन वो आपको गंदगी फैलाने से नहीं रोक सकता, यह बात हमें ही सीखनी होगी कि नियम-कानूनों की पालना करना जरूरी है। अपराध होने की स्थिति में कानून अपना काम निश्चित रूप से करेगा और करता भी है, लेकिन समाज को, हम सबको संस्कार आत्मसात करने का काम भी बराबर करना होगा अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।

