स्कीइंग में देश को मेडल दिलाने वाली आंचल पहुंची अपने घर, जीत कर रचा इतिहास

Saturday, Jan 13, 2018 - 02:16 PM (IST)

मनाली(मनीदर):तुर्की में फेडरेशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने के बाद आंचल ठाकुर आज अपने घर लौट चुकी हैं। कुल्लू-मनाली के भुंतर एयरपोर्ट पहुंची आंचल ठाकुर का लोगों ने जोरदार स्वागत किया गया। भुंतर एयरपोर्ट पर प्रदेश के वन एवं परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने आंचल और उसके माता पिता को सम्मानित किया। इस दौरान मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की स्की ढलानों को विकसित करने के प्रदेश सरकार प्रयास करेंगी। आंचल ठाकुर ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया। इस दौरान आंचल ने अनुभवों को भी सांझा किया। आंचल ठाकुर के स्वागत के लिए भुंतर एयरपोर्ट पर लोगों की खासी भीड़ उमड़ी थी। सभी ने फूल मालाओं से आंचल का स्वागत किया। 

पांच लाख रूपए का इनाम देने की भी घोषणा
आंचल ने तीसरे स्थान पर रहकर न केवल भारत को पदक दिलाया है। बल्कि 9 फरवरी, 2018 से दक्षिण कोरिया में आयोजित होने जा रहे शीतकालीन ओलिम्पिक के लिए भी क्वालीफाई होने की संभावना बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय स्कीइंग एथलीट आंचल ठाकुर को देश के लिए पहला पदक जीतने पर बधाई दी। आंचल को ट्विटर के जरिए दिए एक बधाई संदेश में उन्होंने कहा कि पूरा देश तुर्की में आयोजित एफआईएस अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग प्रतियोगिता में आपकी ऐतिहासिक उपलब्धि से बहुत खुश हैं। भविष्य के लिए आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।  इतना ही नहीं साथ ही राज्य सरकार ने आंचल को पांच लाख रूपए का इनाम देने की भी घोषणा की है। आंचल की इस उपलब्धि से मनाली घाटी में खुशी की लहर है।
 
बच्चों को यूरोप में जाकर प्रशिक्षण लेना पड़ता
आंचल ठाकुर ने कहा प्रदेश सरकार मनाली में कोई अच्छा रिजार्ट बनाएं और प्रदेश की स्की ढलानों को विकसित किया जाए, ताकि प्रदेश के किसी भी खिलाड़ी को दूसरे देश में जाकर प्रशिक्षण न लेना पड़े। अगर प्रदेश में अच्छी स्की ढलानें विकसित होगीं तो प्रदेश से कई और नई खिलाड़ी मिलेंगे। आंचल ठाकुर के पिता रोशन ठाकुर का कहना है कि अभी तक इन खेलों को नजरअंदाज किया जाता था, लेकिन जिस प्रकार देश के प्रधानमंत्री ने आंचल की उपलब्धि पर ट्वीट किया है। उससे लगता है कि इन खेलों की ओर भी ध्यान दिया जाएगा। हमारे पास अच्छे पहाड़ हैं बर्फ है लेकिन छोटी-छोटी सुविधाएं न होने के कारण यहां के बच्चों को यूरोप में जाकर प्रशिक्षण लेना पड़ता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस ओर प्रदेश और देश की सरकार जरूर ध्यान देगी।