खेल-खेल में नायाब तरीकों से पढ़ाई करवाते हैं यहां अध्यापक, पढ़ें पूरी खबर

Saturday, May 19, 2018 - 09:20 AM (IST)

ज्वालामुखी  : सरकारी स्कूलों में जहां साल दर साल प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों की संख्या घटती जा रही है, वहीं कांगड़ा जिला का बंडोल प्राथमिक स्कूल कम हो रही इनरोलमैंट को बचाने के लिए एक उम्मीद बन रहा है। यहां बच्चों को पढ़ाया तो जाता ही है, साथ ही उनमें संस्कार और सर्वांगीण विकास के लिए दूसरी गतिविधियों पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। जहां इस समय सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से बच्चों की संख्या में गिरावट आ रही है, वहीं यह स्कूल सबके लिए एक मिसाल बन चुका है।

बच्चों को पढ़ाने के नायाब तरीके 
यहां बच्चों की संख्या में कोई गिरावट नहीं आई है। अपने अनुशासन व अध्यापकों के पढ़ाने के तौर-तरीके की बदौलत यह स्कूल एक आदर्श स्कूल बनकर सामने आया है। यहां पर अध्यापक बच्चों को पढ़ाने के नायाब तरीके अपनाते हैं। यहां पर पर्यावरणीय शिक्षा देने के लिए प्रकृति से वार्तालाप पढ़ाई का हिस्सा है। वहीं यहां वन्य प्राणियों व घरेलू जानवरों की उपयोगिता को समझाने के लिए अध्यापक बच्चों को किसानों के पास ले जाते हैं। स्कूल स्टाफ के प्रयासों से स्कूल की गतिविधियों और विशेषताओं पर एक वृत्तचित्र का भी निर्माण किया गया है जिसका नाम होप एक उम्मीद रखा है जिसकी जल्द ही स्क्रीनिंग करवाई जाएगी।

अपने स्तर पर शुरू की नर्सरी क्लास
स्कूल के जे.बी.टी. अध्यापक सुनील बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाते हैं। वहीं स्कूल की हैड टीचर सरोज और स्टाफ के प्रयासों से यहां पर नर्सरी की क्लास भी अपने स्तर पर शुरू की गई है। इतना ही नहीं, इस स्कूल में वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग से भी पढ़ाई करवाई जाती है। वहीं बच्चों के अभिभावकों से भी जरूरत पडऩे पर वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग से बात करवाई जाती है। वहीं मुख्याध्यापिका सरोज देवी ने कहा कि बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षा दी जाती है। विषय को रोचक बनाने के लिए आधुनिक तरीक का इस्तेमाल किया जाता है। 

kirti