पुलिस की नाकामी आई सामने, 2 साल के बाद भी नहीं हुआ अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज

Tuesday, May 08, 2018 - 04:32 PM (IST)

बिलासपुर (मुकेश): देवभूमि हिमाचल में अपराध का आंकड़ा प्रति-दिन बढ़ता जा रहा है। आम जनता पुलिस थाने में इसलिए जाती है ताकि उन्हें न्याय मिल सके और अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सके। मगर इसके विपरीत पुलिस अपनी कार्यशैली एवं कर्तव्य परायणता दिखाए तो आम जनता का उनकी कार्यशैली पर से विश्वाश उठना स्वाभाविक है। एक ओर प्रदेश सरकार हिमाचल को अपराध मुक्त बनाने की और पुलिस की कार्यप्रणाली को सुधारने के बड़े-बड़े दावे कर रही है मगर मानवता विरोधी कार्यों में बरती जाने वाली कोताही के प्रति आखिर कौन उत्तरदाई है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है।  


ऐसा ही एक मामला जिला बिलासपुर की मैथी पंचायत के साइकली गांव के सीता राम के साथ हुआ है। घटना 29 मई 2016 की रात को हुई। उस दौरान सीताराम बस की सफाई करने के बाद घर जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसके साथ दो लड़के भी थे विजय और महेंद्र। अचानक वहां पर बुद्धि सिंह और रामपाल आए, उन्होंने उन दोनों लड़कों को वहां से भगा दिया और मुझे पकड़ लिया। उन दोनों के साथ और भी लोग थे। उन्होंने मेरी रीड की हड्डी पर वार किया, जिससे मैं बेहोश हो गया। उन्होंने मेरे साथ मारपीट की और मुझे  200 फुट गहरी खाई में छोड़ दिया, जब सुबह हुई तो मेरे घर वालों ने सभी तरफ ढूंढा। जब मैं वहां पर नहीं मिला तो वह बस के पास आए। उसके बाद फिर उन्होंने तलाश की। उन्होंने तुरंत पुलिस और एंबुलेंस को सूचना दी और मेरी हालत नाजुक थी। एंबुलेंस के द्वारा मुझे बिलासपुर लाया गया लेकिन वहां से मुझे चंडीगढ़ पीजीआई  रेफर कर दिया गया। वहां मेरी रीड की हड्डी का ऑपरेशन हुआ।  


उन्होंने मुझे 1 महीने तक वहां पर रखा। उसके बाद मुझे बिलासपुर अस्पताल में भेज दिया। बिलासपुर में 3 महीने तक मैं रहा। वहां पर भी पुलिस की ओर से कोई भी कर्मचारी मेरा बयान लेने के लिए नहीं आया। एक दिन मैंने अपने पिताजी नंदलाल जी को बिलासपुर पुलिस स्टेशन भेजा तो वहां पर SHO ने उनके साथ बदतमीजी की, जिन लोगों ने मेरे साथ मारपीट की थी उनके साथ पंचायत के उपप्रधान भी शामिल हुए हैं।मेरे केस को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। जिन्होंने मेरे साथ मारपीट की थी वह रामचंद्र मनोज रामपाल और बुद्धि राम भोजराम हैं, उनके साथ और भी कुछ लोग थे उनको मैं नहीं पहचान पाया। कुछ दिन पहले मेरी लड़ाई हरमन और सरवन के साथ हुई थी। उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी दी थी उसके 15 दिन बाद मेरे साथ यह हादसा हो गया। उसके बाद मेरी याददाश्त कमजोर हो गई, मुझे कुछ भी पता नहीं लग रहा था।


2 साल बाद मुझे सब याद आया। मैंने अपने पिताजी को बिलासपुर पुलिस स्टेशन भेजा तो उनके साथ वहां पर बदतमीजी की गई। सोमवार सुबह जिला बिलासपुर पुलिस स्टेशन बुलाया था लेकिन वहां पर S.H.O. नहीं थी और पुलिस कर्मचारी को मैंने कहा कि मैं अपने बयान मैडम को ही दूंगा। ऐसे पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और जिन लोगों ने मेरे साथ मारपीट की है उनको भी कड़ी सजा मिलनी चाहिए। क्योंकि आज तक ना तो पुलिस ने मुझे FIR की कॉपी दी है और ना ही उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है। उसने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से अपील करता हूं कि इस घटना में शामिल लोगों के ऊपर जल्दी ही कार्रवाई की जाए। 

Ekta