कुछ ही अवधि में छिन जाएंगे आशियाने, नाममात्र मुआवजे से कैसे खड़ा होगा आशियाना

Sunday, Sep 05, 2021 - 11:38 AM (IST)

नूरपुर (राकेश भारती) : फोरलेन परियोजना के 37 किलोमीटर लंबे प्रथम चरण के तहत करीब 4 दर्जन कस्बों के अनगिनत लोगों के आशियाने सदा-सदा के लिए मिट जाएंगे। इन लोगों का पुनर्वास कैसे होगा, नया आशियाना बन पाएगा या नहीं यह प्रभावित लोगों के समक्ष एक बहुत बड़ी समस्या है। इस चिंता के कारण उनके दिन-रात का चैन छिन चुका है। इसका मुख्य कारण यह है कि इन्हें उनको सरकार से इस भूमि व परिसर के अधिग्रहण का जो मुआवजा मिल रहा है वह इतना अल्प मात्रा में है कि वह नया आशियाना तो क्या आवास के लिए भूमि तक नहीं खरीत सकते। ऐसे असंख्य लोगों की तरह ही कंडवाल व जसूर के मध्य स्थित राजा का बाग निवासी कर्ण सिंह हैं जिन्हें उनकी 5 मरला जमीन के लिए करीब 3 लाख मुआवजा मिलेगा तथा संभव है कि इतनी ही राशि इस भूमि पर बने 3 मंजिला मकान से मिल जाएगी।

कर्ण सिंह की 2 युवा बेटियां व बेटे हैं। बेटियां विवाह योग्य हो चुकी हैं तथा अब ऐसी स्थिति में इस परिवार के सिर से छत छिनने जा रही है। कर्ण सिंह की चिंता है कि अब जबकि मुआवजा दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, कुछ ही काल अवधि उपरांत नेशनल हाईवे अथॉरिटी इस आवास का अधिग्रहण कर लेगी तथा उसे इस आशियाने को सदा के लिए अलविदा कहना होगा। इस स्थल के आसपास अगर उसने इतनी ही जमीन लेकर मकान बनाना हो तो करीब 20 लाख की राशि जमीन के लिए व इससे 2-3 गुना राशि मकान खड़ा करने के लिए चाहिए होगी, जबकि सरकार करीब 6 लाख ही उसको मुआवजा राशि के रूप में थमा रही है। ऐसे में कर्ण सिंह व उसका परिवार घोर चिंता में है कि उनका भविष्य क्या होगा।

फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष दरबारी सिंह ने कहा कि सरकार एन.एच. किनारे स्थित अति कीमती भूमि का नाममात्र मुआवजा दे रही है तथा इसी तरह इन पर बने परिसरों को भी बहुत ही कम मुआवजा मनमर्जी दरों पर दिया जा रहा है जिससे प्रभावित व उजड़ने जा रहे लोगों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। हम अनेक बार गुहार लगा चुके हैं कि जमीन व परिसरों का मुआवजा फोरलेन एक्ट 2013 में व्याप्त प्रावधानों के अनुसार दिया जाए। हम इसके लिए लगातार आवाज उठाते आए हैं कि उजडऩे जा रहे लोगों का पुनर्वास एक्ट में व्याप्त प्रावधानों मुताबिक किया जाए। 
 

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prashant sharma