2019 में भी धूमल-राणा परिवार होगा आमने-सामने!

Thursday, Aug 23, 2018 - 10:18 AM (IST)

शिमला/नई दिल्ली: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर हिमाचल प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस अभी से सरगर्म हो गए हैं। भाजपा ने जहां चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है, वहीं कांग्रेस नेतृत्व ने भी प्रदेश के चारों सीटों में उतारे जाने वाले प्रत्याशियों को लेकर उच्च स्तरीय मंथन शुरू कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल हिमाचल प्रदेश के अपने 2 दौरों के दौरान कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने के बाद आलाकमान के निर्देश पर आज बुधवार को पुन: हिमाचल दौरे पर पहुंची और कांग्रेस विधायक दल के साथ बैठक की। मकसद साफ है, आलाकमान प्रत्याशियों के चयन को लेकर इस बार कोई चूक नहीं करना चाहता।

पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी के चलते प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इसके बाद पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बाहर होकर दूसरा बड़ा झटका लगा। लिहाजा कांग्रेस आलाकमान इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है और प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर संभावित प्रत्याशियों को लेकर अभी से मंथन में जुट गया है। कांग्रेस आलाकमान से जुड़े उच्च स्तरीय सूत्रों के मुताबिक पार्टी प्रभारी रजनी पाटिल ने आलाकमान को इस हकीकत से अवगत करवा दिया है कि अगर प्रदेश कांग्रेस में इसी तरह गुटबाजी जारी रही और संगठन में परिवर्तन नहीं किया गया तो कांग्रेस फिर से बैकफुट पर जा सकती है और भाजपा केंद्र व प्रदेश में अपनी सरकार होने का पूरा लाभ उठा सकने के साथ-साथ कांग्रेस की गुटबाजी को भुना सकती है। 

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का 16 अगस्त का दौरा प्रदेश में भारी बारिश से हुए नुक्सान के कारण भले ही स्थगित हुआ है लेकिन जल्दी ही उनके दौरे की अगली तिथि फाइनल होने की संभावना है। उनके इस दौरे में ही चारों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की तस्वीर साफ होने के साथ-साथ प्रदेश में जयराम ठाकुर सरकार का चुनावी मोड़ में आना तय है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने चारों लोकसभा सीटों को लेकर जो रोडमैप तैयार किया है, उनमें हर सीट पर संभावित प्रत्याशियों की जीत की संभावनाओं को टटोला जा रहा है। शिमला संसदीय सीट पर कांग्रेस पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री व सोलन से वर्तमान कांग्रेस विधायक कर्नल डाक्टर धनीराम शांडिल के अलावा 6 बार यह सीट जीतने वाले स्वर्गीय आई.डी. सुल्तानपुरी के बेटे विनोद सुल्तानपुरी के नाम पर मंथन कर रही है। कांगड़ा संसदीय सीट पर आलाकमान में 2 पूर्व मंत्रियों सुधीर शर्मा व जी.एस. बाली के अलावा पूर्व सांसद चौधरी चंद्रकुमार के नाम पर विचार चल रहा है। 

मंडी संसदीय सीट पर राजा वीरभद्र सिंह के परिवार व पूर्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह के नाम आलाकमान की निगाहे हैं। हालांकि राजा वीरभद्र सिंह यह साफ  कर चुके हैं कि उनके परिवार से इस बार कोई सदस्य लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगा लेकिन वीरभद्र सिंह इस सीट पर ठाकुर कौल सिंह के नाम का समर्थन करते हैं या अपनी तरफ से कोई नाम सुझाते हैं, इसे लेकर आलाकमान के सामने अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हमीरपुर संसदीय सीट इस बार प्रदेश की सबसे हॉट सीट बनी हुई है और पूरे प्रदेश की निगाहें इस सीट पर लगी हैं। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर इस सीट पर जीत की तिकड़ी जमा चुके हैं और कांग्रेस पिछले करीब 3 दशकों से इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए तरस रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अनुराग ठाकुर के मुकाबले सुजानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए राजेंद्र राणा को टिकट थमाया था लेकिन प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सर्वाधिक वोट हासिल करने के बावजूद मोदी लहर में राजेंद्र राणा चुनाव हार गए थे। 

इन नामों पर चर्चा
कांग्रेस आलाकमान भी इस सीट को लेकर इस बार काफी गंभीर दिख रहा है और आलाकमान में जिन प्रत्याशियों को लेकर मंथन चल रहा है,उनमें राजेंद्र राणा के अलावा उनके बेटे प्रदेश व युवा कांग्रेस के सचिव एवं प्रवक्ता अभिषेक राणा के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, पूर्व मंत्री ठाकुर रामलाल, पूर्व विधायक बंबर ठाकुर व राजेश धर्माणी का नाम शामिल है। ठाकुर रामलाल दो बार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं जबकि  बंबर ठाकुर व राजेश धर्माणी दोनों इस बार विधानसभा चुनाव अपने-अपने क्षेत्रों में हार गए हैं जो उनके नैगेटिव जा रहा है। 

राजपूत बहुल इस संसदीय सीट पर अगर कांग्रेस राजेंद्र राणा या लगातार इस संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहकर भाजपा को चौतरफा घेरने में जुटे उनके बेटे अभिषेक राणा पर दांव खेलती है तो तीसरी बार धूमल व राणा परिवार चुनावी जंग में आमने-सामने हो सकता है। कांग्रेस आलाकमान भी इस सीट पर हमीरपुर जिला से ही राजपूत प्रत्याशी को उतारने के मूड में नजर आती है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में राजेंद्र राणा ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के मुख्यमंत्री के घोषित चेहरे प्रो. प्रेम कुमार धूमल को हराकर प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलटफेर किया।

Ekta