इंप्लाइज यूनियन ने किया मुख्यालय का घेराव, झुका बिजली बोर्ड प्रबंधन

Wednesday, May 24, 2017 - 11:40 AM (IST)

शिमला: बिजली बोर्ड इंप्लाइज यूनियन ने बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस शिमला का घेराव किया। बताया जाता है कि मांगों को पूर्ण न करने पर हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड यूनियन के कर्मचारियों ने बोर्ड मुख्यालय के बाहर मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर नारेबाजी की। इसमें प्रदेशभर से सैंकड़ों कर्मचारियों ने भाग लिया। वहीं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि बोर्ड प्रबंधन द्वारा 3 साल पहले इसकी 48 तकनीकी व अन्य श्रेणियों के वेतनों को पंजाब बिजली कंपनी के बराबर लाने के लिए घटा दिया था वह न्यायसंगत नहीं है और तथ्यों से परे है। इसके कारण इन श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतनों में कटौती हुई है और कई जगह रिकवरी की जा रही है। अगर बोर्ड प्रबंधन वर्ग पंजाब बिजली कंपनी की तर्ज पर वेतन देना चाहता है तो वहां इन श्रेणियों को दिया जा रहा टाइम स्केल भी इन 48 श्रेणियों को दिया जाना चाहिए था।


बोर्ड में 800 से अधिक करुणामूलक के मामले वर्ष 2006 से लंबित पड़े
इसके अतिरिक्त पदोन्नति पर बढ़ी हुई ग्रेड पे के लिए 2 साल की शर्त को भी उन्होंने अन्याय संगत करार देते हुए इसे तुरन्त खत्म करने की मांग की है। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि बोर्ड में 800 से अधिक करुणामूलक के मामले वर्ष 2006 से लंबित पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य बिजली बोर्ड में 1 लाख 50 हजार की वार्षिक आय सीमा में पैंशन जोड़ी जा रही है, जिससे मृतक कर्मचारियों के आश्रित परिवारों से अधिकतर अभ्यर्छियों की आय निर्धारित सीमा से ऊपर जा रही है और नौकरी की पात्रता से वंचित रहना पड़ रहा है। जबकि हिमाचल सरकार में वार्षिक आय सीमा में पैंशन की राशि को नहीं जोड़ा जा रहा है और पात्र अभ्यर्थियों को नौकरी प्रदान की जा रही है। 


मामले को सुलझाया नहीं गया तो करेंगे बड़ा आंदोलन
यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि बोर्ड की 48 श्रेणियों के वेतन विसंगतियों के मामले को बिजली बोर्ड के लिए गठित सर्विस कमेटी जान बूझकर उलझा रही है और मुख्यमंत्री की इस बारे की गई घोषणा को नजर अंदाज किया जा रहा है। उन्होंने इस मामले को गंभीर बताया और कहा कि यदि प्रबंधक वर्ग इस मुद्दे को समय रहते नहीं निपटाते तो इन वेतन विसंगतियों को दूर करने की लड़ाई में यूनियन किसी भी हद तक जा सकती है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले को सुलझाया नहीं जाता है तो यूनियन को मजबूरन बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा।