बिशु मेलों पर भी वैश्विक महामारी कोरोना का असर

Tuesday, Apr 14, 2020 - 01:17 PM (IST)

सिरमौर (प्रेम वर्मा) : जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्रो में इस वर्ष बिशु मेलों पर भी रोक लग गई है। विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते समूचा क्षेत्र लॉकडाउन है तथा क्षेत्र के मंदिरों, देवठीयों मे ताले लटके पड़ें हैं। सोशल डिस्टेन्स सहित जरूरी एहतियात के तौर पर सभी कार्यक्रमों को रद्द किया गया है। ऐसे में इस वर्ष लोगों को अपने घरों के अंदर ही बिशु मेलों सहित बैसाखी पर्व का आनंद लेना होगा। 

सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र सहित उत्तराखंड प्रदेश के बाबर-जोंनसार क्षेत्र मे सदियों से यह बिशु मेले मनाए जाते है। देशभर में मशहूर नैनिधार, शरली, सुइनल बनोर भरली, तिलोरधार ,बालधार, उत्तराखंड प्रदेश के खैरवा, देलुडंड, मोकबाग, चोली सहित अन्य जगहों पर माहिने भर बिशु मेलों का दौर रहता है तथा उतराखंड के खैरवा बिशु के साथ बिशु मेलों का समापन हो जाता है। ताजा तस्वीरें पौंटा साहिब के शिवा पंचायत की है जहां शिव मंदिर में कोरोनावायरस के चलते मंदिर पूरी तरह से खाली है और लोग अपने ही घरों से शिव की पूजा कर रहे हैं इस क्षेत्र में आज से बिशु मेले शुरू होते हैं मगर करोना वायरस के असर के कारण इस बार सिरमौर और उत्तराखंड में मनाए जाने वाले बिशु मेले बंद है। 

बिशु मेले के दौरान स्थानीय लोग गाजे-बाजे के साथ जातर लेकर मेला स्थान पर पहुंचते हैं। दिनभर स्थानीय लोकनाटी, रासा, हारूल नृत्य सहित ठोढ़ा प्रतियोगिता का आयोजन रहता है। ऐसा पहली बार हुआ है जब लोग प्राचीन मेलों का आनद नहीं ले पाएंगे। 

सिरमौर व उतराखंड के अतिरिक्त समूचे देश में अलग-अलग नामों से पर्व को मनाया जाता है। सनातन धर्म अनुसार फसल कटने से पहले जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तो अन्नदेव पूजन करके प्राण प्रतिष्ठा डालने के बाद फसल कटाई शुरू की जाती है। वहीं भारत के असम में भियु, बंगाल मे नबा वर्षा, केरल में पुरम बिशु, सहित पोंगल पर्व नाम से मेले मनाए जाते हैं। इसी दिन सिख पंथ के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसलिए पंजाब प्रदेश के लोग इसी दिन को नववर्ष का शुभारंभ मानते हैं तथा समूचे पंजाब में बैसाखी पर्व की धूम रहती है।
 

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prashant sharma