IIT शोधकर्ताओं ने विकसित किए पॉलीमर लूपिंग समझने के आसान मॉडल

punjabkesari.in Tuesday, Nov 05, 2019 - 10:28 AM (IST)

मंडी (ब्यूरो): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने पॉलीमर लूपिंग की प्रक्रिया समझने के लिए आसान मॉडल विकसित किए हैं। शोधकर्ताओं ने पॉलीमरिक लूप सिस्टम में एंड लूप मैकेनिज्म के मौलिक पहलुओं को समझने के लिए सैद्धांतिक मॉडल बनाए हैं। पॉलीमर्स दुनिया में हर जगह पाए जाते हैं, यहां तक कि मनुष्यों में भी पाए जाते हैं जो खुद विभिन्न प्रकार के पॉलीमर के संग्रह हैं। हम जो भी खाते, स्पर्श करते, महसूस करते और इस्तेमाल करते हैं, सभी किसी न किसी प्रकार के पॉलीमर हैं। आईआईटी मंडी में स्कूल ऑफ  बेसिक साइंसिज के एसोसिएट प्रोफैसर डा. अनिरुद्ध चक्रवर्ती की देखरेख में शोध टीम क्वांटम और स्टैस्टिस्टिकल मैकेनिक्स के अत्याधुनिक क्षेत्र में कार्यरत है और यह जटिल और जरूरी रासायनिक परिघटनाओं को समझने के लिए सैद्धांतिक दृष्टिकोण अपनाती है। 

अंतर्राष्ट्रीय जर्नल कैमिकल फिजिक्स लैटर्स में उनका अध्ययन हाल में प्रकाशित हुआ है और उनकी शिष्या सुश्री मोमीता गांगुली इस शोध पत्र की संबद्ध लेखिका हैं। शोध के बारे में जानकारी देते हुए सुश्री गांगुली ने कहा कि पॉलीमर एक साथ मौजूद सांप की तरह अलग-अलग मॉलीक्यूल नहीं हैं, ये अक्सर ऐंठे, आपस में जुड़े, एक दूसरे के ऊपर और विभिन्न रूपों में एक साथ लूप में रहते हैं। इस तरह रहने की वजह से ही ये अपने काम कर पाते हैं और यही इनकी विशिष्टता है। हमारी नई प्रक्रिया से न केवल जीव वैज्ञानिक प्रक्रियाओं में लूपिंग के महत्व को समझने बल्कि नैनो-डिवाइस और पॉलीमर से मॉलीक्यूलर मशीन विकसित करने में भी मदद मिलेगी।

अवलोकन और तर्क के बीच जरूरी सेतु का काम करेगा

मॉडल बनाने का मकसद पॉलीमर लूपिंग के मल्टी-बॉडी नेचर (बहु-काय संरचना) को सरल बनाना और कई मानकों के प्रभावों को समझना है। उनके अध्ययन के परिणाम पॉलीमर लूपिंग काइनैटिक्स के बारे में गहरी सूझबूझ का विकास करने के साथ स्टैस्टिकल मैकेनिकल कैलकुलेशन को सिमुलेट करेगा जिसमें अधिक समय लगता है। रसायन एवं जीव विज्ञान के कई प्रश्नों के उत्तर देने में प्रायोगिक विधियां और प्रक्रियाएं अपर्याप्त होती हैं, ऐसे में सैद्धांतिक और प्रायोगिक प्रयासों की सिनर्जी जरूरी होता है। सुश्री गांगुली ने पॉलीमर विज्ञान के क्षेत्र में उनके मॉडलिंग अध्ययन की अहमियत के बारे में कहा कि हमारा कार्य अवलोकन और तर्क के बीच जरूरी सेतु का काम करेगा।


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Ekta

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