HC के आदेशों की अनदेखी, सरकार ने दागी अधिकारी को सौंपी अहम जिम्मेदारी

Wednesday, Aug 22, 2018 - 09:59 AM (IST)

शिमला: हाईकोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए सरकार ने पीलिया मामले में जेल जा चुके अधिशासी अभियंता विनोद ठाकुर को महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी दी है। उक्त अधिकारी एक मंत्री का रिश्तेदार बताया जा रहा है। विनोद ठाकुर को आई.पी.एच. के सबसे बड़े कसुम्पटी मंडल की जिम्मेदारी सौंपी गई है जबकि हिमाचल हाइकोर्ट ने दागी अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर न लगाने के आदेश दे रखे हैं। गौरतलब है कि शिमला शहर में दिसम्बर 2015-16 में पीलिया फैला था। उस दौरान पीलिया के कारण 24 लोगों की जान गई थी और 18 हजार से अधिक लोग इसकी चपेट में आए थे। 

इसके बाद शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पवर की शिकायत पर पुलिस थाना ढली में 6 जनवरी, 2016 को आई.पी.सी. की 269, 277, 270 और 336 तथा ए वाटर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन एक्ट की धारा 43, 44 के तहत मामला दर्ज किया गया। इसकी जांच के लिए कोर्ट के आदेशों पर एस.आई.टी. गठित की गई। एस.आई.टी. ने 21 जनवरी को जे.ई. परनीत कुमार और सुपरवाइजर को गिरफ्तार किया। 29 जनवरी को ठेकेदार अक्षय डोगर, 30 जनवरी को एस.डी.ओ. हेमचंद, 31 जनवरी को एक्सियन विनोद ठाकुर, 5 फरवरी को एस.डी.ओ. अभिषेक शर्मा और जे.ई.रूपलाल को गिरफ्तार किया गया। इन पर ढली और मल्याणा सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट का सीवरेज बिना ट्रीट किए अश्विनी खड्ड में छोड़ने को लेकर लापरवाही बरतने के आरोप हैं। 

3 अधिकारियों के खिलाफनहीं मिली प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन
इस गंभीर मामले में सरकार ने एक्सियन विनोद ठाकुर समेत दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन देने से मना कर दिया है। इन अफसरों को बचाने के बाद अब पुलिस निचले ओहदों पर तैनात कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश करने जा रही है।

सामाजिक कार्यकत्र्ताओं ने उठाए सवाल
आर.टी.आई. कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य और पवन कुमार बंटा ने सोशल मीडिया पर एक्सियन विनोद ठाकुर की कसुम्पटी डिवीजन में तैनाती पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने ऐसा करके हाइकोर्ट ने उन आदेशों की अवहेलना की है जिसमें कोर्ट नेपीलिया मामले के दोषी अफसरों को फील्ड में न लगाने के आदेश दिए थे।

दोषी अफसरों को बचा रही सरकार 
शिमला के पूर्व महापौर संजय चौहान ने भी विनोद ठाकुर की इस ताजपोशी पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि दो दर्जन लोगों की जान लेने वाले पीलिया मामले में भी सरकार दोषी अफसरों को बचाने का काम कर रही है। सरकार द्वारा 3 अफसरोंके खिलाफ प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन न देना दुर्भाग्यपूर्ण है।

Ekta