IGMC में गोरखधंधा, इस वजह से मरीजों को हो रही परेशानी

Saturday, Jan 21, 2017 - 11:11 AM (IST)

शिमला: अगर आप हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आई.जी.एम.सी. में अपना ब्लड टैस्ट या कोई अन्य टैस्ट करवाना चाहते हैं तो लैब में मौजूद अधिकारी से 15 मिनट के तुरंत बाद रिपोर्ट लें वर्ना आपकी रिपोर्ट गायब हो सकती है। क्योंकि ब्लड बैंक में इन दिनों टैस्ट रिपोर्ट्स गायब हो रही हैं। ऐसा ही उदाहरण शुक्रवार को आई.जी.एम.सी. में देखने को मिला जब छोटा शिमला के रहने वाले अक्षय ने अपना टैस्ट करवाया तो उसे ब्लड बैंक में तैनात अधिकारी ने टैस्ट की रिपोर्ट देने से मना कर दिया। अधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हमारे पास कोई रिपोर्ट नहीं है। उनका कहना है कि कमरा नम्बर 301 से 302 में कोई रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे में अब रिपोर्ट नहीं मिल पाएगी है। 


आई.जी.एम.सी. में चल पड़ा गोरखधंधा
यहां तक कि उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास रजिस्टर में भी कोई एंट्री नहीं है और न ही मरीज ने टैस्ट करवाया है। अक्षय रिपोर्ट लेने के लिए दर-दर भटकता रहा, उसके बावजूद उसे रिपोर्ट नहीं मिली। बाद में उसे निजी लैब में टैस्ट करवाने पड़े। हैरत है कि इन दिनों आई.जी.एम.सी. में गोरखधंधा चल पड़ा है जिसके कारण मरीज अपने छोटे टैस्ट भी नहीं करवा पा रहे हैं। लैब में दिन-दिहाड़े ही ब्लड टैस्ट व अन्य टैस्ट की रिपोट्र्स गुम हो रही हैं। ऐसे में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले भी 2 माह पहले संजौली के रहने वाले हेमंत कुमार की रिपोर्ट गायब हुई थी जिसके चलते उसका ऑप्रेशन टल गया था। इस संबंध में जब अस्पताल प्रशासन से पूछा जाता है तो वह अपने पास रिकार्ड न होने की बात कर मामले को टाल देता है। 


मरीजों को काटने पड़ रहे चक्कर 
आई.जी.एम.सी. अस्पताल में मरीजों की रिपोर्ट गुम होने के कारण मरीजों को कई चक्कर अस्पताल के काटने पड़ रहे हैं जिस कारण दूरदराज से आने वाले मरीजों का समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहे हैं। बार-बार ऐसी घटनाओं के होने के बाद मरीजों को अधिक पैसे देकर निजी लैब में ही टैस्ट करवाने पड़ते हैं। जब मरीज 4-5 दिन लगातार रिपोर्ट के लिए चक्कर काटते हैं तो उसके बाद उन्हें मना किया जाता है। यहां पर खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को परेशानी हो रही है।


बाहर टेबल पर रख दी जाती है रिपोर्ट 
रिपोर्ट गायब होने का एक और मुख्य कारण यह भी है कि ब्लड टैस्ट लैब में रिपोर्ट तैयार होने के बाद लैब के बाहर एक टेबल पर रख दी जाती है। ऐसे में कम पढ़े-लिखे लोगों को रिपोर्ट में अपना नाम ढूंढना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में कई बार लोग दूसरे ही लोगों की रिपोर्ट ले जाते हैं और दूसरे मरीज को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कई रिपोर्ट कई दिनों तक बिखरी रहती हैं।