इस मंदिर से पसीना निकला तो समझो मां से मांगी मुराद होगी पूरी

punjabkesari.in Wednesday, Dec 02, 2020 - 12:15 PM (IST)


चम्बा(सुभाष):भारतवर्ष 33 करोड़ देवी देवताओं की जन्मस्थली है। विभिन्न देवी देवताओं की ऐतिहासिक मंदिर भारतवर्ष के विभिन्न स्थानों पर पाए जाते हैं जो अधिकतर पहाड़ी इलाकों में स्थित हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। विशेषकर हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी जिले शिवभूमि व देवभूमि के नाम से जाने जाते हैं। प्रदेश का जिला मुख्यालय चम्बा मंदिरों का शहर के नाम से विख्यात है। जिला के भरमौर में एक साथ ही ऐतिहासिक 84 मंदिर स्थित हैं। इसमें यमराज का मंदिर भी शामिल है।  मान्यता यह भी है कि जब भी कोई व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है तो उसका सूक्ष्म शरीर यहीं से परमधाम को प्रस्थान करता हुआ देखा गया है। प्रख्यात सात कैलाशों  में से एक चम्बा जिला के मनीमहेश में स्थित है। प्रतिवर्ष जहां लाखों के हिसाब से श्रद्धालु पवित्र डल झील में स्नान करके अपने आप को धन्य समझते हैं। इसी प्रकार चम्बा जिले के एतिहासिक मंदिरों में से एक भद्रकाली माता के मंदिर का नाम, यहां बसे छोटे से गांव भलेई के नाम पर पड़ा है। देश के कोने-कोने से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। आम दिनों के मुकाबले नवरात्रि में दर्शनार्थियों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। माता भद्रकाली में असीम आस्था रखने वाले लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। माना जाता है कि मां जब प्रसन्न होती हैं तो प्रतिमा से पसीना निकलता है। पसीना निकलने का यह भी अर्थ है कि मां से मांगी गई मुराद पूरी होगी। लोगों का कहना है कि मंदिर को बनाने के लिए मां भलेई ने ही चम्बा के राजा प्रताप सिंह को धन उपलब्ध करवाया था। यह इतना खूबसूरत है कि हजारों साल पहले बने इस मंदिर की वास्तुकला को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है । भलेई माता की चतुर्भुजी मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है और ये खुद से प्रकट हुई थी। माता के बाएं हाथ में खप्पर और दाएं हाथ में त्रिशूल है।
स्वयंभू प्रकट हुई थी भलेई माता
चम्बा व डल्हौजी से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर स्वयंभू प्रकट मां भलेई का मंदिर है। कहा जाता है कि भद्रकाली मां भलेई भ्राण नामक स्थान पर स्वयंभू प्रकट हुई थीं और चम्बा के राजा प्रताप सिंह द्वारा मां भलेई के मंदिर का निर्माण करवाया गया था। 60 के दशक तक यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। इसके बाद मां भलेई की एक अनन्य भक्त दुर्गा बहन को मां भलेई ने स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया था कि सबसे पहले दुर्गा बहन मां भलेई के दर्शन करेंगी, जिसके बाद अन्य महिलाएं भी मां भलेई के दर्शन कर सकती हैं।
मूर्ति चोरी करने के बाद अंधे हो गए थे चोर
कहा जाता है कि एक बार चोर मां भलेई की प्रतिमा को चुरा कर ले गए थे। चोर जब चौहड़ा नामक स्थान पर पहुंचे तो एक चमत्कार हुआ। चोर जब मां की प्रतिमा को उठाकर आगे की तरफ बढ़ते तो वे अंधे हो जाते और जब पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें सब कुछ दिखाई देता। इससे भयभीत होकर चोर चौहड़ा में ही मां भलेई की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए थे। बाद में पूर्ण विधि विधान के साथ मां की दो फीट ऊंची काले रंग की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया।

 

 


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Kaku Chauhan

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