अगर आप भी देख रहे हैं इग्लू में रहने का सपना तो चले आइए मनाली (Watch Video)

Friday, Feb 16, 2018 - 12:57 PM (IST)

मनाली: बर्फ का नाम सुनते ही जहन में जो तस्वीर बनती है वो हैं सफेद पहाड़, स्कीइंग, ठंड और इग्लू। साधारण तौर पर लोग इग्लू को सिर्फ टी.वी. पर देखते आए हैं लेकिन अब पर्यटन नगरी मनाली में भी इग्लू में रहने का अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। देश में पहला बर्फ का घर यानी इग्लू जिला कुल्लू की पर्यटन नगरी मनाली में बना है। बर्फ से बने इस इग्लू में सैलानी एक महीने तक रहने का आनंद ले सकेंगे और यदि बर्फबारी होती है तो यह इग्लू 2 महीने तक रहने की सुविधा दे सकेगा। बर्फ से तैयार किए घर जो आज तक सिर्फ आस्ट्रेलिया अंर्टाटिका में देखने को मिलते थे वे अब जिला कुल्लू की पर्यटन नगरी मनाली में भी पर्यटकों को सुविधा देने को तैयार हैं। 

सेथन गांव के 2 युवकों ने बनाया इग्लू
लगभग 9000 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मनाली से 15 किलोमीटर दूर हामटा के सेथन गांव में 2 युवाओं द्वारा एक ऐसा इग्लू तैयार किया गया है, जो इन दिनों हामटा पास आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनने लगा है। मनाली क्षेत्र के रहने वाले 2 युवा टशी व विकास ने मिलकर बर्फ का मकान तैयार किया है और वहां आने वाले पर्यटकों को ठहरने की सुविधा भी दी जा रही है। विकास ने बताया कि पहले विदेशों में ही पर्यटक ऐसे होटलों व घरों को रहने के लिए प्रयोग में लाते थे। मनाली के हामटा में दूसरी बार ऐसा प्रयोग किया गया है। 

सैलानियों की सुविधा के लिए 2 इग्लू तैयार 
उन्होंने बताया कि अभी से पर्यटक यहां रहने के लिए उनसे संपर्क कर रहे है। उन्होंने बताया कि सैलानियों की सुविधा के लिए उन्होंने 2 इग्लू तैयार किए है, जिसमें रहने की पूरी सुविधाएं मौजूद हैं। इन युवाओं का कहना है कि यह इग्लू ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएगा लेकिन बर्फबारी का क्रम जारी रहता है तो सैलानी इसे 2 माह तक प्रयोग में ला सकते हैं। युवाओं का कहना है कि उन्होंने इग्लू बनाने की सोच यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से तैयार की है और ट्रैकिंग के दौरान युवाओं की मदद में यह बर्फ का मकान काफी मददगार साबित होगा।

क्या है इग्लू
इग्लू बर्फ से बना एक प्रकार का छोटा सा घर है जहां ठंड से बचा जा सकेगा। खास बात यह है कि इसमे सिवाय बर्फ के कोई सामग्री प्रयोग में नहीं लाई जाती है। बाहर का तापमान माइनस में चल रहा होगा तब भी इग्लू के अंदर तापमान सामान्य रहता है। कनाडा के मध्य आर्कटिक और ग्रीनलैंड के क्षेत्रों के लोग इसका इस्तेमाल करते थे। धीरे-धीरे पूरे विश्व के ठंडे स्थलों में इसका प्रचार हुआ।