बागवानी ने दिलाई पहचान, प्रतिवर्ष कमा रहे लाखों

Sunday, Jul 02, 2017 - 01:43 AM (IST)

मंडी (नितेश सैनी): 60 वर्षीय कालीदास का एक ही उद्देश्य है कि हर गांव हर घर में अलग-अलग प्रजातियों के फल-पौधे अवश्य हों। इससे लोगों का बागवानी के प्रति रूझान बढ़ेगा और रसायनयुक्त फलों से भी उन्हें छुटकारा मिल सकेगा। बागवानी को बड़े स्तर पर अपनाने में प्रदेश सरकार की विभिन्न बागवानी विकास योजनाएं भी सहायक सिद्ध हो रही हैं। जोगिंद्रनगर क्षेत्र की ग्राम पंचायत कुठेड़ा के सुआ गांव निवासी कालीदास में बागवानी के प्रति एक तरह का जुनून नजर आता है।

बागवानी में हाथ आजमाने का किया निश्चय
घर के समीप ढलानदार पहाड़ी पर मक्की की फसल संतोषजनक उत्पादन नहीं दे रही थी और ऐसे में उन्होंने यहां बागवानी में हाथ आजमाने का निश्चय कर लिया। उन्होंने आम का बगीचा तैयार करने का निर्णय लिया और इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से अनुदान पर आम के पौधे खरीदे और लगभग 250 पौधे रोपित किए। इनमें लंगड़ा, दशैहरी, सफेदा प्रजाति के आम सम्मिलित हैं और केसरिया प्रजाति के आम भी नमूने के तौर पर रोपित किए हैं।

सेवानिवृत्त उपनिदेशक ने बढ़ाया रूझान
बागवानी के प्रति रूझान बढ़ाने में समीपवर्ती गांव से संबंध रखने वाले सेवानिवृत्त उपनिदेशक, उद्यान ऋषि राणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उद्यान विभाग कार्यालय से भी समय-समय पर उपयोगी जानकारी तथा पौधे व अन्य सामग्री आवश्यकतानुसार उपलब्ध होती है। बगीचे तक सिंचाई सुविधा पहुंचाने के लिए उन्होंने समीप से बह रहे खुडणु नाले पर जलागम परियोजना एवं मनरेगा के माध्यम से लगभग एक लाख रुपए की लागत से चैक डैम तथा टैंक निर्माण कार्य पूरा किया। आपूर्ति पाइप इत्यादि के लिए भी सहायता अनुदान राशि प्राप्त की।

प्रतिवर्ष कमा रहे लाखों रुपए  
कड़ी मेहनत व प्रदेश सरकार की विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ उठाते हुए उन्होंने आज एक बेहतरीन बगीचा तैयार कर लिया है और प्रतिवर्ष लगभग 40 से 45 क्विंटल तक आम की पैदावार प्राप्त कर रहे हैं। इससे उन्हें लगभग एक लाख रुपए तक की आय हो रही है। मौसम की मार व जानवरों के उत्पात से फसल की सुरक्षा हेतु उन्होंने हाल ही में 40 पौधों का फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा भी करवा लिया है जिसके लिए लगभग 1200 रुपए वार्षिक राशि निर्धारित की गई है।

कीटनाशकों व खाद का प्रयोग न के बराबर 
उनका कहना है कि वह कीटनाशकों व खाद का प्रयोग न के बराबर करते हैं और प्राकृतिक तौर पर ही फल को पकाकर तैयार करते हैं। शायद यही कारण है कि उनके बगीचे के आम का नमूना ए ग्रेड में पास होता रहा है और अधिकांश ग्राहक भी घर से ही आम खरीद कर ले जाते हैं।

फलों की कलमबंदी करने में महारत हासिल 
उनकी एक और विशेषता आम व अन्य फलों की कलमबंदी करने में महारत हासिल करना भी है, जिसके लिए उन्हें बागवानी विभाग की ओर से भी प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। उनका कहना है कि वह अपने बगीचे में अब नए प्रयोग कर कलमबंदी कर अन्य प्रजातियों के आम तैयार कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त लोगों की मांग पर विभिन्न स्थानों पर कलम लगाने के लिए जाते रहते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो जाती है और बाग-बगीचों को बढ़ावा देने का उनका लक्ष्य भी पूरा हो रहा है।