मेरे अंदर कुछ पहाड़ों का भोलापन है, कुछ मैं सहज भी हूं: कंगना रनौत

punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2024 - 03:48 PM (IST)

हिमाचल डेस्क। कंगना रनौत ने अपने बचपन के किस्सों से लेकर, फिल्म जगत, नेपोटिज्म, अभिनेत्री से लेकर फिल्म निर्माता और फिर राजनीति में कदम रखने तक के सफर पर चर्चा की। कंगना ने कहा कि उसने बहुत छोटी उम्र में ही घर छोड़ दिया था।

लेकिन कई बार जब मेरे जीवन में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव चल रहे होते हैं तब मैं अपनी बचपन की सहेलियों को देखती हूं जो एकदम आम जिंदगी जी रही है, पति के साथ अच्छा वक्त व्यतीत कर रही हैं। 

मेरे अंदर पहाड़ों का भोलापन: कंगना

कंगना ने कहती है कि मुझे लगता है मेरे अंदर कुछ वो पहाड़ों का भोलापन है, कुछ मैं सहज भी हूं बाकि कहते हैं न कुछ तो दुनिया खराब थी और कुछ हम भी कम नहीं थे। दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस स्थित कॉन्फ्रेंस सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में कंगना की बेबाकी भरी बातें सुनकर पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाट से गूंज उठा।

छात्रों ने कंगना के लिए जय श्री राम के नारे लगाकर उनका स्वागत किया। कंगना ने कहा कि वह 10 साल की उम्र में गालिब को सुनती थी। मैं खुद भी बहुत दुखी कविताएं लिखती थी, तब लोग पूछते थे तुमको क्या गम है? 

एक जैसी छवि में बंधकर नहीं रहना चाहती: कंगना

उन्होंने कहा कि वो एकमात्र ऐसी कलाकार हैं जो एक जैसी छवि में बंधकर नहीं रहना चाहती हैं। जबकि बहुत से अभिनेता या अभिनेत्री एक किरदार निभाने के बाद उस छवि में बंध जाते हैं। यही कारण है कि तनु वेड्स मनु, क्वीन जैसी फिल्में करने के बाद वो उसी जैसी फिल्में बार-बार नहीं करना चाहती है और यही कारण है कि मणिकर्णिका के बाद निर्देशन का काम किया। बाद में कई फिल्में में अलग-अलग किरदार निभाए।

हिमाचल प्रदेश की खबरें पढ़ने के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Jyoti M

Related News