ये कैसी आस्था : खतरे में डाली जा रहीं अनमोल जिंदगियां

Tuesday, Aug 14, 2018 - 10:25 PM (IST)

गगरेट: सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल मां चिंतपूर्णी के सावन अष्टमी के नवरात्रों में कोई मालवाहक वाहनों में तो कोई कार की डिक्की के पीछे बैठकर आ रहा है तो कोई थ्री व्हीलर में ठूंस-ठूंस कर माता के दर्शनों के लिए जा रहे हैं। वाहन चालक खुलकर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बाइकों पर 3 से 4 लोग सफर कर माता के दर्शनों को जा रहे हैं जोकि आस्था के नाम पर अनमोल जिंदगियों को खतरे में डालकर यात्रा कर रहे हैं। अफसरशाही ने भी ऐसा रवैया अपनाए हुआ है कि मौत की सवारी कर यहां आने की दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं को खुली छूट दे दी गई है।

अफसरशाही की ओर से दी जाती है ये दलील
अगर कभी मीडिया सजग प्रहरी का रोल अदा करते हुए अफसरशाही का ध्यान इस ओर आकर्षित करना भी चाहे तो दलील यह दी जाती है कि देवभूमि में आने वाले दूसरे राज्यों के श्रद्धालु आस्था से वशीभूत होकर ही यहां आते हैं। यदि इन्हें मालवाहक वाहनों में न आने दिया जाए तो धार्मिक पर्यटन पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। अब यह दलील कहां तक तर्कसंगत है यह शायद वह भी न बता पाएं जो ये दलीलें देते हैं। क्या आस्था के नाम पर किसी को आत्महत्या करने की छूट दी जा सकती है? यह पहली बार नहीं है कि नियमों से खिलवाड़ कर मालवाहक वाहनों में आने वाले श्रद्धालु मौत का शिकार बने हों।

सरकार व अफसरशाही नहीं गंभीर
सरकार को कानून के डंडे से हांक कर जनहित में काम करवाने वाली न्यायपालिका को क्या हर बार सरकार व अफसरशाही को उसके कर्तव्य का बोध करवाना होगा? उच्च न्यायालय के सख्त आदेश के बावजूद अगर प्रदेश में मालवाहक वाहनों में मौत का सफर बंद न हो पाए तो यह किसकी गलती मानी जाएगी। नियमों को ताक पर रखकर मालवाहक वाहनों में आस्था के नाम पर ठूंस-ठूंस कर दूसरे राज्यों से आए श्रद्धालु अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, यह प्रदेश उच्च न्यायालय को दिख गया लेकिन प्रशासनिक अमले को नहीं। हद तो यह है कि अगर उच्च न्यायालय के आदेश को सख्ती से अमलीजामा पहनाने के लिए ही प्रशासनिक अमला पहल कर दे तो प्रदेश की सड़कों पर खून की ये होली शायद ही मौत खेल पाए।

मेले से पहले किए जाते हैं बड़े-बड़े दावे
उपमंडल अम्ब में अक्सर ऐसे हादसे देखने व सुनने को मिलते रहते हैं। बावजूद इसके मालवाहक वाहनों में सवारी पर पूर्णतया रोक नहीं लग पाई। मेलों से पहले मेले को लेकर तैयारियों के लिए होने वाली प्रत्येक बैठक में इस पर चर्चा भी जरूर होती है और प्रशासनिक अधिकारी हर बार छाती ठोककर मालवाहक वाहनों में सवारी ढोने पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने का दावा करते हैं लेकिन प्रशासन का यह दावा हर बार ठुस्स हो जाता है।

उच्च न्यायालय के आदेश की हो रही अवमानना
प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश में मालवाहक वाहनों में सवारी ढोने पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं और बावजूद इसके उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना हो रही है, ऐसे में वह कैन सा चाबुक है जो मौत के इस खेल को बंद करवाने में मदद करे। अब तो निजाम को भी यह जरूर सोचना ही चाहिए कि क्या जिंदगी इतनी सस्ती है जिसे हर मोड़ पर खड़ी मौत यूं ही उड़ा ले जाए? या फिर बेलगाम होते जा रहे अफसरशाही के घोड़े की लगाम खींचने की जरूरत है।

क्या कहते हैं गगरेट थाना के प्रभारी
थाना प्रभारी गगरेट चैन सिंह ठाकुर ने बताया कि मालवाहक वाहनों में यात्री लेकर आ रहे वाहनों के चालान काटे जा रहे हैं। पुलिस यातायात नियमों की अवहेलना करने वालों को कतई नहीं बख्शेगी।

Vijay