20 भादो पर तीर्थ स्थलों में उमड़ा आस्था का सैलाब, हजारों श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान
punjabkesari.in Saturday, Sep 04, 2021 - 11:55 PM (IST)
कुल्लू (गीता/दिलीप): कुल्लू जिले के वशिष्ठ, मणिकर्ण, क्लाथ, भुंतर, कुल्लू, खलाड़ा नाला, तारापुर गढ़ व अंजनी महादेव सहित अन्य जगहों पर श्रद्धालुओं ने 20 भादो के दिन पवित्र स्नान किया। इस अवसर पर घाटी के कई देवी-देवताओं ने भी अपने पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन के साथ तीर्थ स्थलों व संगम में डुबकी लगाकर शाही स्नान किया। शनिवार को कुल्लू घाटी के विभिन्न तीर्थ स्थानों पर लोगों की खासी भीड़ उमड़ी रही। कुल्लू के भुंतर में ब्यास-पार्वती संगम, मणिकर्ण घाटी के रुद्रनाग व खीरगंगा, सरेउलसौर में देवी-देवताओं ने शाही स्नान किया तो कुछ देवी-देवताओं ने मनु की नगरी वशिष्ठ व क्लाथ में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद मंत्रोच्चारण के साथ स्नान किया। वहीं श्रद्धालुओं ने भी आस्था की डुबकी लगाई। स्नान का सिलसिला सुबह 4 बजे से शुरू हुआ, जो शाम तक चलता रहा। श्रद्धालुओं सपना, शीतल, श्रेया, लवली, करिश्मा, शालू, भूपेंद्र सिंह, रवि, बबलू, टीकम राम, मोती राम व पूर्ण चंद ने बताया कि सुबह से तमाम संगम स्थलों, झरनों व झीलों में हजारों लोगों ने पवित्र स्नान किया।
बीमारियों से मिलता है छुटकारा
घाटी के बुद्धिजीवियों का कहना है कि जंगलों की दुर्लभ जड़ी-बूटियां 20 भादो के दिन पानी में अपना रस छोड़ती हैं, ऐसे में इस दिन तीर्थ स्थानों पर नहाने से चर्म रोग, शारीरिक कष्ट व सभी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से निकलने वाली नदियों में शारीरिक कष्टों को दूर करने की भी शक्ति होती है। ब्यास नदी सहित घाटी के नदी-नालों और झरनों में भी यह शक्ति आज भी मौजूद है।
भादो के स्नान का महत्व
देवता घटोत्कच परगाणु के कारकून अमित शर्मा ने कहा कि पूरे वर्ष में एक बार भाद्रपद मास के 20 प्रविष्टे को पार्वती व ब्यास नदी के संगम में देवता पवित्र शाही स्नान सदियों से करते आ रहे हैं। 20 भादो के स्नान का बहुत महत्व है और इसके अलग-अलग प्रमाण हैं, जिसमें लक्ष्मण को जब बाण लगा था और उनके लिए हनुमान जी अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियां लेकर जा रहे थे तो उनमें से कुछ जड़ी-बूटियों का प्रभाव जल में समाता है। वर्ष में 20 भादो के दिन को लेकर देव समाज में खासी मान्यता है।
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