जमा पूंजी वापस लेने के लिए शेयर होल्डरों ने दिया धरना

Friday, Sep 07, 2018 - 02:29 PM (IST)

बरठीं : दि करलोटी कृषि सेवा सहकारी सभा पपलाह की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आने के चलते शेयर होल्डरों ने वीरवार को सभा के कार्यालय के बाहर धरना दिया। जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव क्षेत्र घुमारवीं के अधीन पडऩे वाली दि करलोटी कृषि सेवा सहकारी सभा पपलाह के सचिव की मौत के बाद सहकारी सभा की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। विभाग की मानें तो विभाग दि दधोल कृषि सेवा सहकारी सभा दधोल तथा तलाई सहकारी सभा की कार्यप्रणाली पर ही अपना फोकस बनाए हुए था कि अचानक पपलाह सोसायटी के सचिव की मौत का मामला सुॢखयों में छा गया और लोगों में अचानक यह दहशत फैल गई कि पपलाह सोसायटी में सचिव और मैनेजमैंट की आपसी कथित मिलीभगत के चलते सोसायटी में लाखों रुपए का गोलमाल किया गया है।

क्या कहते हैं शेयर होल्डर
शेयर होल्डरों सागर चंद, सावित्री देवी, सन्नी कुमार, कुलतार सिंह, बीना देवी, राज कुमारी, अरुण कुमार, कृष्णु राम, प्यारे लाल, राम लाल, सुशील कुमार, श्याम लाल धीमान, कमलदेव, सुरेंद्र सिंह, जगदीश सिंह, सरिता देवी, अनीता देवी व शीला देवी आदि का कहना है कि लोग पपलाह सोसायटी में इस नीयत से अपनी पाई-पाई जमा करवाते थे कि सहकारी सभा उनकी अपनी सभा है तथा पैसों का ब्याज मिलने के साथ-साथ उस वक्त भी उन्हें सोसायटी से इकट्ठा लोन मिल जाएगा, जब उन्हें धन की जरूरत पड़ेगी। करलोटी पपलाह से जमा पूंजी खाता धारक जागरूक समिति दि करलोटी कृषि सहकारी सभा पपलाह के प्रधान ऊधो राम शास्त्री, वरिष्ठ उपप्रधान राकेश कुमार, सचिव अशोक कुमार व कुछ अन्य सदस्य ए.आर.ओ. रमेश शर्मा से मिले तथा सोसायटी से संबंधित शेयर होल्डरों के लाखों रुपए डूबने की आशंका जताते हुए मामले की स्वतंत्र कमेटी द्वारा उच्च स्तरीय जांच करवाकर गरीब लोगों की पाई-पाई वापस करवाने की मांग की।

एक सप्ताह में पूरा होगा सभा का ऑडिट  
वहीं इस बारे में ए.आर.ओ. रमेश शर्मा का कहना है कि विभाग के पास लंबे अंतराल से एक्सपर्ट ऑडिटर के 18 पद रिक्त चल रहे हैं। विभाग के पास केवल एक ऑडिटर है, जिसे जिला की सभी सहकारी सभाओं की कार्यप्रणाली पर नजर बनाए रखनी पड़ती है। वर्तमान में पपलाह सोसायटी में विभागीय ऑडिटर न होने के कारण सेवानिवृत्त ऑडिटरों से पपलाह सोसायटी का ऑडिट करवाया जा रहा है। इस बारे में प्राइवेट ऑडिटर देवराज का कहना है कि अभी ऑडिट चल रहा है। इसे पूरा करने में लगभग एक सप्ताह का समय लग जाएगा और उसके बाद ही मामले में दूध का दूध व पानी का पानी हो पाएगा। इसमें जो भी छानबीन में दोषी पाया जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। 

kirti