बिजली के लिए पड़ोसी राज्य पर निर्भर हुआ हिमाचल, जानिए क्या है वजह

Thursday, Dec 14, 2017 - 12:12 AM (IST)

शिमला: हिमाचल में बर्फबारी के बाद विद्युत उत्पादन में 73 फीसदी तक की गिरावट आई है। बिजली का उत्पादन गिरने से विद्युत राज्य बिजली के लिए पड़ोसी राज्य पर निर्भर हो गया है। ग्लेशियरों के जमने के बाद नदी-नालों में पानी का स्तर बहुत गिर गया है। इस वजह से प्रदेश में 27 फीसदी बिजली उत्पादन शेष रह गया है। प्रदेश में इससे बिजली का संकट गहरा गया है। हालांकि राज्य का विद्युत बोर्ड बैंकिंग सिस्टम से पड़ोसी राज्य से बिजली लेकर उपभोक्ताओं को आपूर्ति कर रहा है। प्रदेश में हर रोज 270 लाख यूनिट बिजली की मांग रहती है। गर्मियों में हिमाचल मांग से ज्यादा बिजली उत्पादित करता है लेकिन सर्दियों में यह उत्पादन गिरकर 72 लाख यूनिट रह गया है। विद्युत उत्पादन कम होने के बाद हिमाचल 129 लाख यूनिट बिजली बैंकिंग के माध्यम से पड़ोसी राज्य से ले रहा है जबकि 69 लाख यूनिट बिजली सैंट्रल सैक्टर की परियोजनाओं से खरीदी जा रही है। 

विद्युत उत्पादन में आए शॉर्टफॉल को कम करने का हो रहा प्रयास 
गर्मियों में जब हिमाचल सरप्लस बिजली उत्पादित करता है तो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व उत्तर प्रदेश को बैंकिंग आधार पर बिजली प्रदान करता है। सर्दियों में जब प्रदेश में विद्युत उत्पादन गिर जाता है तो इन्हीं राज्यों से हिमाचल बैंकिंग के माध्यम से बिजली वापस लेता है। जब तक प्रदेश में इसी तरह सर्द मौसम रहेगा तब तकराज्य विद्युत बोर्ड पड़ोसी राज्यों की बिजली से विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली प्रदान करेगा। बिजली बोर्ड विद्युत उत्पादन में आए शॉर्टफॉल को कम करने के प्रयास कर रहा है। बिजली बोर्ड की अपनी परियोजनाओं के अलावा कड़छम वांगतू, कोल डैम, नाथपा झाखड़ी, रामपुर व भाखड़ा में भी बिजली का उत्पादन कम होने की सूचना है। वहीं सर्दियों में ही प्रदेश में ज्यादा बिजली की जरूरत रहती है। खासकर बर्फबारी के कारण लोग घरों से बाहर लकड़ी लेने नहीं जा सकते हैं। वहीं लोग खाना भी हीटर व इडक्शन जैसे इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों पर बनाते हैं। इस वजह से भी इन दिनों बिजली की मांग ज्यादा रहती है।

तापमान में गिरावट से ग्लेशियर जमने शुरू 
प्रदेश में बीते 2 दिन से ऊंचे क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है। इसके बाद समूचे प्रदेश में शीतलहर चल पड़ी है। इससे तापमान में भारी गिरावट आई है। तापमान में गिरावट के कारण ग्लेशियर जमने शुरू हो गए हैं। इनके जम जाने से नदियों में पानी का स्तर कम हो गया है। इस कारण विद्युत बोर्ड की अपनी परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन में ज्यादा गिरावट देखने को मिली है।