हिमाचली गबरू ने दुनिया भर में रोशन किया नाम, एवरेस्ट की चोटी पर फहराया तिरंगा

Friday, May 25, 2018 - 08:00 PM (IST)

सोलन: आखिरकार बुलंद हौसलों ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को भी झुका दिया। सोलन के रहने वाले कैप्टन संदीप मनसुखानी ने दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट पर फतेह हासिल की है। उन्होंने करीब 48 दिनों के सफर के बाद एवरेस्ट पर तिरंगे को फहराया। जल्द ही कैप्टन संदीप सोलन वापस पहुंचने वाले हैं। कैप्टन संदीप ने एवरेस्ट फतह कर दुनिया भर में हिमाचल का नाम रोशन किया है। उन्होंने एवरेस्ट पर जाने का सफर 4 अप्रैल, 2018 को शुरू किया था। 21 मई को सुबह वह एवरेस्ट की सबसे उंची चोटी पर पहुंच चुके थे।


नेपाल भूकंप त्रासदी के दौरान एवरेस्ट पर देखा मौत का मंजर
बता दें कि इससे पहले संदीप मनसुखानी नेपाल भूकंप त्रासदी के दौरान एवरेस्ट पर मौत का मंजर देख चुके हैं लेकिन पहाड़ सा हौसला डिगा नहीं और मौत का खौफ भी उन्हें दोबारा एवरेस्ट फतह करने से नहीं रोक पाया। नेपाल त्रासदी के समय वह एवरेस्ट फतह करने निकले थे लेकिन अभी वह 22 हजार फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच सके थे कि चोटियां हिलने लगी और बर्फ के ग्लेशियरों में पड़ती दरारों व हिमस्खलन से उन्हें मौत सामने नजर आने लगी थी। अफरा-तफरी में सभी लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे, वहां की सरकार द्वारा एवरेस्ट जा रहे साहसिक दल का आगे का सफर रोक दिया गया था। इसके 2 दिन बाद वॉकी-टॉकी के माध्यम से उनका संपर्क बाहर की दुनिया से हो पाया था।


पंजाब केसरी ने प्रमुखता से किया था प्रकाशित
नेपाल में हुई तबाही का पता चलने पर वह स्वयं को भाग्यशाली मानने लगे। एवरेस्ट फतह करने का कैप्टन मनसुखानी का सपना अधूरा रह गया लेकिन इस मंजर ने उनके हौसले को और पुष्ट कर दिया है। उनके इस अनुभव को पंजाब केसरी ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिला सोलन के देऊंघाट में रहने वाले संदीप मनसुखानी जेट एयरवेज में वरिष्ठ पायलट हैं। बुलंद हौसले के धनी यह 43 वर्षीय युवा बचपन से ही साहसिक खेलों, जिसमें मुख्य रूप से पर्वतारोहण का शौक रखते हैं। उन्होंने पृथ्वी पर बसे 7 महाद्वीपों में सबसे ऊंची चोटियों पर चढऩे को अपना लक्ष्य बनाया है।


बचपन से है साहसिक कार्यों का शौक
कैप्टन संदीप मनसुखानी का बचपन सोलन शहर में बीता है। एक वर्ष वह यहां के सेंटल्यूक्स स्कूल में पढ़े और इसके बाद बिशप कॉटन स्कूल शिमला में शिक्षा ग्रहण की। उन्हें बचपन से ही साहसिक कार्यों का शौक था व यहां होने वाली रेड डी हिमालय रैली, सोजोबा रैली भी जीती। इसके अलावा डेजर्ट स्टॉर्म व मुगल रैली में भी कई बार शामिल हुए और स्थान पाया। उन्होंने जेट एयरवेज में बतौर सीनियर पायलट सेवाएं देते हुए हिमालय माऊंटेनियरिंग संस्थान दार्जिलिंग से पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया। इस प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बैस्ट स्टूडैंट अवार्ड भी मिला। वह जम्मू-कश्मीर व सिक्किम की कई ऊंची चोटियों पर भी चढ़ चुके हैं।

Vijay