सिर्फ इस वजह से प्रतियोगिता नहीं कर पा रहा हिमाचली सेब

Saturday, Jun 23, 2018 - 03:55 PM (IST)

शिमला : अमरीकी सेब पर आयात शुल्क बढ़ने के बाद बागवान सेब को विशेष फल का दर्जा देने की मांग करने लगे हैं। तकनीक में पिछड़ा होने के कारण प्रदेश के बागवान चीन, चिली, ईराक, अमरीका, न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया के सेब से प्रतियोगिता नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में 4,200 करोड़ रुपए से ज्यादा के सेब उद्योग को बचाने के लिए बागवान रशिया की तर्ज पर सभी मुल्कों से सेब के आयात पर रोक की मांग कर रहे हैं। यह तभी संभव होगा जब केंद्र सरकार सेब को विशेष फल का दर्जा देगी।

प्रदेश के बागवान इसलिए ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि हर साल आयात किए जा रहे सेब की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। हिमाचल में सेब की उत्पादन लागत 25 रुपए प्रति किलो है जबकि चीन जैसे विकसित मुल्क 26 रुपए प्रति किलो के हिसाब से सेब मुंबई बंदरगाह में देने को तैयार हैं। हिमाचल के बागवानों को तब जाकर मुनाफा होता है,जब उनका सेब 50 रुपए से ज्यादा प्रति किलो के हिसाब से बिके। अन्य देश 26 रुपए किलो के हिसाब से सेब बेचकर भी मुनाफा कमा रहे हैं।

kirti