हिमाचल की विनाक्षी चली मैरीकॉम की राह, बॉक्सिंग चैम्पियनशिप के लिए बहा रही पसीना

Wednesday, Jun 27, 2018 - 11:17 AM (IST)

शिमला (जय): हिमाचल प्रदेश के आदिवासी गांव सांगला की युवती विनाक्षी धोता अब मैरीकॉम की राह पर चलकर प्रदेश के लिए बड़ा मुकाम हासिल करने का सपना देख रही है। हाल ही में प्रदेश की इस बहादुर बेटी का एशियन गेम्स नैशनल बॉक्सिंग चैम्पियन कैंप के लिए चयन हुआ है। और अब वह नैशनल बॉक्सिंग कैंप में खूब पसीना बहा रही है। इस कैंप में देश भर की करीब 40 महिला बॉक्सर खिलाड़ियों का चयन हुआ है और यह कैंप हरियाणा में चल रहा है। विनाक्षी की उम्र अभी 16 वर्ष है। वह 48 किलोभार वर्ग में अन्य लड़कियों के साथ इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए दिन-रात एक कर रही है। कुछ वर्ष पहले तक वह सिर्फ एक बॉक्सर बनने का सपना देख सकती थी।


सामाजिक रुढि़वाद, भारत में क्रिकेट पर अत्यधिक जोर होने और अन्य खेलों के बुनियादी ढांचे की कमी जैसे कारणों से वह बॉक्सिंग का अपना शौक पूरा नहीं कर पा रही थी। ऐसे में हैडमास्टर और पूर्व में राष्ट्रीय स्तर के बॉक्सर रह चुके उपिंद्र नेगी ने उन्हें पेशेवर बाक्सर के तौर पर प्रशिक्षण लेने के लिए प्रोत्साहित किया और आज यह 18 वर्षीय बॉक्सर रोहतक में नैशनल कैंप का हिस्सा है। वह इस वर्ष अगस्त में इंडोनेशिया में होने वाले एशियन गेम्स में चयन के लिए प्रशिक्षण ले रही है। विनाक्षी ने सांगला गांव में स्थापित बॉक्सिंग रिंक से अपनी प्रैक्टिस शुरू की।


मेरे गांव में महिलाएं अब शर्मीली नहीं रहीं
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस संघर्ष के बीच अपना रास्ता बना पाऊंगी। मैं अपने मार्गदर्शक के बिना ऐसा नहीं कर पाती। जिसे अब तक पुरुषों का खेल माना जाता था उसमें धीरे-धीरे ही सही लेकिन काफी बदलाव हो रहे हैं। मेरे गांव में महिलाएं अब शर्मीली नहीं रहीं, वे अब खेलों और खास तौर पर बॉक्सिंग को लेकर पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास से भरपूर नजर आ रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा के लिए मैं तैयार हूं। 


सुबह साढ़े 5 बजे से शुरू होती है प्रैक्टिस
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बॉक्सिंग के गुर सीखने के लिए हर दिन तीन प्रशिक्षण सत्र होते हैं। सुबह 5.30 बजे से 8 बजे व दोपहर 11.30 बजे से 1 बजे तक और शाम को 5.30 बजे से 7.30 बजे तक। विनाक्षी कैंप में रहते हुए पढ़ाई भी कर रही है इसके लिए उसने हरियाणा के एक स्कूल में एडमिशन लिया है। विनाक्षी प्रशिक्षण संस्थान में मजबूती और टिकाऊपन पर और अपने पंच को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है। 

Ekta