हिमाचल की दूसरी ट्रक ड्राइवर बनी तृप्ता ने ऐसे पार की जिंदगी की चुनौतियां (PICS)

Wednesday, Apr 03, 2019 - 03:53 PM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): वो कहते हैं न कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती और अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं लगती। इसी बात को सच कर दिखाया है हिमाचल की दूसरी ट्रक ड्राइवर बनी तृप्ता ने। जी हां, 4 बेटियों की मां ने बेटियों को उच्च शिक्षा दिलवाने और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए ट्रक का स्टेयरिंग थामा है। घर के आर्थिक हालात बेहतर नहीं थे। पति मेहनत मजदूरी करते हैं तो बिलासपुर जिला के लदरौर की तृप्ता देवी ने रोजगार के लिए एक अलग राह को चुना। पहले एच.आर.टी.सी. में पार्ट टाइम के तौर पर कंडक्टर का काम किया। वहां से नौकरी छिन जाने के बाद जब बेटियों की पढ़ाई के खर्चे के लिए दिक्कतें आई तो तृप्ता देवी ने आखिरकार वह राह चुनी जो महिलाओं के लिए शायद एक चुनौती बनी हुई है। पुरुष ट्रक ड्राइवरों के मिथित को तोड़ती महिलाएं अब ट्रक दौड़ाती सड़कों पर नजर आने लगी हैं। 

अर्की की नीलकमल के बाद बिलासपुर के गांव लदरौर की 42 वर्षीय तृप्ता देवी ने एक माह पहले ही ट्रक का स्टेयरिंग थामा है। वह एक माह में ऊना और पंजाब के होशियारपुर सहित अनेक स्थानों पर सीमैंट, ईटों और बजरी को ढोने का काम कर रही हैं। तृप्ता देवी कहती हैं कि घर के हालात बेहतर न होने और बेटियों की परवरिश की जिम्मेदारी उनके कंधों पर हैं। पति चूंकि मजदूरी करते हैं, ऐसे में उसने भी हाथ बंटाने की सोची। पहले कंडक्टर बनने के लिए लाइसैंस बनवाया और बाकायदा ट्रेनिंग भी की। एच.आर.टी.सी. में काफी समय तक अंशकालीन तौर पर काम किया लेकिन बाद में उन्हें इससे निकाल दिया गया। अब फिर से रोजगार को लेकर चिंताएं थी।

तृप्ता देवी कहती हैं कि इसी बीच लदरौर के ही गांव हटवाड़ के कुलदीप धीमान ने उन पर भरोसा जताया। वह कुलदीप धीमान के पास पहुंची तो उन्होंने उसका लाइसैंस जांचने और गाड़ी चलाने का अनुभव देखा तो तत्काल उन्हें ट्रक सौंप दिया। बस फिर क्या था, उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वह सडक़ों पर ट्रक दौड़ाती हैं तो लोग उत्साह के साथ देखते हैं। चुनौतियां तो हैं लेकिन अगर हौसला बुलंद है तो कोई मंजिल मुश्किल नहीं है। वह हर रोज सडक़ों पर अकेले ट्रक लेकर चलती हैं। जितनी भी दिक्कतें आएं वह हंसी खुशी इनका सामना करती हैं। उन्हें बेहतर रोजगार मिल रहा है जिससे परिवार की गुजर बसर हो रही है।

तृप्ता देवी की 4 बेटियों में से सबसे बड़ी बेटी कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण कर रही है। दूसरी 10वीं कक्षा में, तीसरी 5वीं में तो चौथी अभी 4 वर्ष की है। तृप्ता कहती हैं कि उनकी आय और पति की मजदूरी से उनका घर का गुजारा बेहतर हो रहा है। उसका सपना है कि बेटियां अच्छी शिक्षा हासिल करें और वह मुकाम हासिल करें जिसका सपना हर कोई माता-पिता देखता है। घर के संचालन में बेटियां भी उसका साथ देती हैं। ट्रक के मालिक कुलदीप धीमान कहते हैं कि अब पुरुष ड्राइवरों की बजाय महिला ड्राइवरों को इस फील्ड में खुलकर आना चाहिए। महिला ड्राइवर बेहद ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करती हैं। न कोई नशे की समस्या और न ही कोई और दिक्कत सामने आती है।

ऊना से बिलासपुर के लिए ट्रक में बजरी लेकर जा रही तृप्ता फर्राटेदार स्पीड से ट्रक दौड़ाती हैं। उन्हें कोई भय नहीं लगता है। रास्ते में चलते हुए लोग उसका खुशी से अभिवादन करते हैं। ट्रक चलाते हुए देखकर लोग रोमांचित भी होते हैं। अभी भी ट्रकों को चलाते हुए महिलाओं को देखकर लोग आश्चर्यचकित होते हैं। हिमाचल में अर्की की नीलकमल के बाद तृप्ता देवी दूसरी महिला ट्रक ड्राइवर हैं। वह आह्वान करती हैं कि महिलाओं को भी इस क्षेत्र में खुलकर सामने आना चाहिए। कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। केवल जज्वा होना चाहिए।

Ekta