हिमाचल की दुर्गम पंचायत बड़ा भंगाल, बिजली-स्वास्थ्य सेवाओं के इंतजार में बीत गए 6 साल

Tuesday, Jan 22, 2019 - 11:17 PM (IST)

पालमपुर (मुनीष दीक्षित): कांगड़ा जिला की दुर्गम पंचायत बड़ा भंगाल में 6 साल से बिजली गुल है। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यहां आयुर्वैदिक स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन यह केंद्र एक चपड़ासी के सहारे चल रहा है। यहां कई सालों से कोई डाक्टर नहीं है। काफी साल से एक फार्मासिस्ट था लेकिन उसके तबादले के बाद कोई भी यहां आने को तैयार ही नहीं हुआ, ऐसे में सभी पंचायतों में बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के सरकार के दावे जहां हवा हो रहे हैं, वहीं बड़ा भंगाल के लोगों को भी बिना मूलभूत सुविधाओं के परेशान होना पड़ रहा है। अपने अस्तित्व में आने के बाद से यह पंचायत अंधेरे में थी। वर्ष 2002 में तत्कालीन सरकार के समय में यहां हिम ऊर्जा के माध्यम से 40 किलोवाट क्षमता की एक पनविद्युत परियोजना स्थापित की गई ताकि यहां के लोगों को बिजली मिल सके  लेकिन वर्ष 2011-12 के मध्य इस परियोजना में कोई खराबी आ गई।  

बच्चे दीये की रोशनी में ही पढ़ने को मजबूर

6 साल से अधिक समय के बीतने के बाद भी यह परियोजना शुरू नहीं हो पाई है। आज भी यहां के लोग अंधेरे में ही रातें गुजारते हैं और बच्चे दीये की रोशनी में ही पढ़ने को मजबूर हैं। हालांकि सॢदयां शुरू होते ही करीब 700 आबादी वाली इस पंचायत के अधिकांश लोग 60 किलोमीटर दूर बीड़ गांव में 6 माह के लिए आ जाते हैं लेकिन गांव की देखभाल के लिए 50 के करीब लोग अब भी बड़ा भंगाल में हैं। इसके अलावा 60 के दशक मेें स्थापित आयुर्वैदिक स्वास्थ्य केंद्र में अब कोई चिकित्सक या फार्मासिस्ट नहीं है, ऐसे में बीमार होने पर यहां के लोगों का केवल भगवान ही सहारा है।

सरकार के दावों को अमलीजामा नहीं पहनाने दे रहे अधिकारी

बड़ा भंगाल के पूर्व पंचायत चुनीलाल भंगालिया ने कहा कि सरकार ने यहां बिजली की व्यवस्था करके यहां के लोगों को तोहफा दिया था लेकिन 6 साल से अधिक समय से यह प्रोजैक्ट खराब चल रहा है, ऐसे में लोगों को सुविधाएं देने के लिए सरकार के दावों को अधिकारी अमलीजामा नहीं पहनाने दे रहे हैं। इस दिशा में सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिए। बड़ा भंगाल के उपप्रधान परस राम का कहना है कि 6 साल से अधिक समय से हम लोग बेहद कठिन जीवन जी रहे हैं। न बिजली है और न स्वास्थ्य सेवाएं, ऐसे में खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां लोग व खासकर बच्चे कैसे रहते होंगे। यहां परियोजना के काम को रोकने या सोलर प्लांट के लिए किसी ने कोई विरोध नहीं किया है।

50 किलोवाट के सोलर प्लांट को नहीं मिल रही जमीन

हिम ऊर्जा के निदेशक के.एल. ठाकुर का कहना है कि यहां प्रोजैक्ट को बीच में ठीक किया गया था। बाद में कुछ विरोध हुआ था लेकिन यहां के लिए अब 50 किलोवाट के सोलर प्लांट को लगाने की योजना है। जमीन उपलब्ध नहीं हो रही है। यदि जमीन मिल जाए तो यह प्लांट लग सकता है। बड़ा भंगाल पंचायत के दुर्गम होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां वर्ष 2010 में पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में तत्कालीन सी.एम. प्रेम कुमार धूमल पहुंचे थे, जबकि विधायक के रूप में वर्ष 2018 में पहली बार बैजनाथ के एम.एल.ए. मुल्ख राज प्रेमी पहुंचे। उसी समय यहां के लोगों की परेशानी को देखते हुए तत्कालीन वूल फैडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर के आग्रह पर सरकार ने काफी कम किराए पर बड़ा भंगाल के लिए हैलीकॉप्टर सेवा शुरू की थी, जो एक साल ही चली और उसके बाद सरकार ने इसे बंद कर दिया। 

जानिए कहां है बड़ा भंगाल

बड़ा भंगाल पंचायत कांगड़ा जिला की अति दुर्गम पंचायत है। बैजनाथ उपमंडल में लाहौल स्पीति, चम्बा व कुल्लू जिलों के साथ इस पंचायत की सीमा लगती है। यहां तक अभी सड़क सुविधा नहीं है। लोग बैजनाथ के बीड़ गांव से करीब 60 किलोमीटर का पैदल सफर कर ग्लेशियर से होकर यहां पहुंचते हैं। इसके अलावा चम्बा के होली से भी यहां तक रास्ता जाता है। यह पंचायत बर्फबारी के बाद शेष विश्व से कट जाती है। रावी नदी भी यहीं से निकलती है।

केवल सैटेलाइट फोन ही सहारा

बड़ा भंगाल में न तो इंटरनैट है और न ही मोबाइल फोन सुविधा। न अखबार पहुंचती है और अब बिजली न होने से कोई टैलीविजन चलता है। यहां के लोगों से संपर्क करने का एकमात्र साधन केवल यहां बी.एस.एन.एल. द्वारा लगाया गया सैटेलाइट फोन ही है। यह फोन भी सौर ऊर्जा से ही चलता है।

Vijay