हिमाचल के लिए अलग से रैजीमैंट की मांग बेमानी नहीं

Thursday, Dec 27, 2018 - 04:00 PM (IST)

पालमपुर : भारतीय सेना से मिलने वाला प्रत्येक 10वां मैडल हिमाचली रणबांकुरे के कंधे पर सजता है। जनसंख्या के आधार पर सर्वाधिक वीरता सम्मान इस प्रदेश के रणबांकुरों ने प्राप्त किए। जब भी भारत माता की और दुश्मन ने अपनी भवें तरेरी पहाड़ के ये वीर पहाड़ की तरह दुश्मन के आगे खड़े हो गए तथा दुश्मन को पीछे हटने पर विवश कर दिया। कठिन परिस्थितियों में भी इन रणबांकुरों का न तो साहस डगमगाया और न ही कदम पीछे हटे। कारगिल युद्ध के दौरान भी हिमाचली रणबांकुरों ने इस परंपरा को कायम रखा।

आप्रेशन विजय में जहां देश के 527 वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, उनमें हिमाचल के 52 वीर जवानों में से 15 जवान कांगड़ा जिले से संबंध रखते थे। इनमें कैप्टन विक्रम बतरा और कैप्टन सौरभ कालिया पालमपुर से, ग्रेनेडियर विजेंद्र सिंह देहरा से, नायक ब्रह्म दास नगरोटा से, राइफलमैन राकेश कुमार गोपालपुर से, राइफलमैन अशोक कुमार और नायक वीर सिंह ज्वाली से, नायक लखवीर सिंह, राइफलमैन संतोख सिंह और राइफलमैन जगजीत सिंह नूरपुर से, हवलदार सुरेन्द्र सिंह, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह ज्वाली से, राइफलमैन जंग महंत धर्मशाला से, ग्रेनेडियर सुरजीत सिंह देहरा और नायक पदम सिंह इंदौरा से संबंध रखते थे, जिन्होंने आप्रेशन विजय में घुसपैठियों को खदेडऩे में अदम्य साहस का परिचय दिया था। ऐसे में इस पहाड़ी राज्य के लिए अलग से रैजीमैंट की मांग बेमानी भी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धर्मशाला आगमन पर सेना व अद्र्धसैनिक बलों में कार्यरत रहे पूर्व सैनिकों को आस बंधी है।

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