हिमाचल सरकार फिर लेगी 700 करोड़ का कर्ज, जानिए क्यों

Saturday, Sep 23, 2017 - 11:32 PM (IST)

शिमला: गंभीर वित्तीय संकट के आगे राज्य सरकार एक बार फिर बेबस नजर आ रही है। इसके चलते वित्तीय अदायगियों के लिए राज्य सरकार को 700 करोड़ रुपए का कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। इस तरह सरकार गत जुलाई माह से अब तक कर्ज लेने का आंकड़ा 2,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यानी सरकार जुलाई माह में 500 करोड़ रुपए, अगस्त माह में 800 करोड़ रुपए और अब सितम्बर माह में 700 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है। सरकार का वित्तीय गणित इसलिए भी गड़बड़ाया है क्योंकि कर्मचारियों व पैंशनरों को 4 फीसदी डी.ए. और आई.आर. देने के अलावा अन्य घोषणाएं की गई हंै।

कर्ज लेने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं 
सरकार के वित्तीय साधन सीमित हैं और उसके पास कर्ज लेने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। इस तरह सरकार के 700 करोड़ रुपए के कर्ज लेने की राशि को जोड़ दिया जाए तो मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान 3,500 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया जाएगा। विपक्ष भी सरकार की तरफ से बार-बार कर्ज लिए जाने के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार मौज-मस्ती में जुटी है और उसके लिए बार-बार कर्जा लिया जा रहा है। 

अब तक करीब 43 हजार करोड़ रुपए का कर्ज
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश पर अब तक करीब 43 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ गया है। इसका मुख्य कारण सरकार के आय-व्यय में अंतर होना है। अंतर की इस खाई को पाटने के लिए सरकार विभिन्न एजैंसियों के माध्यम से ऋण उठा रही है। इतना ही नहीं राज्य सरकार 3 साल में 7 से 13 फीसदी की दर से फरवरी, 2016 तक 11,044.44 करोड़ रुपए का कर्ज विभिन्न संस्थाओं से ले चुकी है। इसमें से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम से 73.27 करोड़ रुपए 11 से 13 फीसदी ब्याज दर पर लिया है। हालांकि वर्ष, 2013-14, वर्ष, 2014-15 व वर्ष, 2015-16 में सरकार ने 4454.83 करोड़ रुपए का कर्ज वापस भी किया है।

प्रति व्यक्ति ऋण बढ़कर 57,642 रुपए हुआ
राज्य सरकार की तरफ से बार-बार कर्ज लिए जाने के कारण राज्य की आर्थिकी ऋण जाल में उलझकर रह गई है। बार-बार कर्ज लिए जाने पर कैग ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में वर्ष, 2011-12 के दौरान प्रति व्यक्ति ऋण जो 40,904 रुपए था, वह वर्ष, 2015-16 में बढ़कर 57,642 रुपए हो गया है। यानी 5 साल में प्रति व्यक्ति ऋण बढ़ौतरी में 41 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। इसके अनुसार 7 साल के भीतर 62 फीसदी ऋण का भुगतान करना होगा। यह राज्य सरकार के लिए आरामदायक स्थिति नहीं है।