कर्ज से बाहर निकलने के उपाय नहीं तलाश पाई हिमाचल सरकार

Sunday, Mar 11, 2018 - 01:25 AM (IST)

शिमला: प्रदेश सरकार कर्ज से बाहर निकलने के ठोस उपाय नहीं तलाश पाई है। इसके चलते वर्ष 2022 तक किसानों की आय दो गुना करने पर संशय बना हुआ है। प्रदेश सरकार की तरफ से विधानसभा में पेश किए गए आॢथक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य खाद्य उत्पादन में पिछड़ रहा है। वर्ष 2014-15 में खाद्यान्न उत्पादन 2.13 मीट्रिक टन प्रति हैक्टेयर था जो वर्ष 2017-18 के अंत तक 2.09 मीट्रिक टन प्रति प्रति हैक्टेयर पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। यानी लक्ष्य बीते वित्त वर्ष के मुकाबले कम तय किया गया है। इससे पहले वर्ष 2016-17 में यह लक्ष्य 2.25 मीट्रिक टन था जो मौजूदा लक्ष्य से कम है। 

2 माह के कार्यकाल में 2,000 करोड़ का कर्ज
जंगली जानवरों और लावारिस पशुओं की तरफ से कृषि-बागवानी को लगातार पहुंचाए जा रहे नुक्सान से किसान-बागवानों का बड़ा वर्ग इसे छोड़ रहा है। इससे कृषि क्षेत्र में लक्ष्य को प्राप्त करने में लगातार बाधा आ रही है। वर्तमान सरकार ने अपने 2 माह के कार्यकाल में ही 2,000 करोड़ का कर्ज लिया है। साथ ही आगामी बजट में 45.34 फीसदी बजट राशि केंद्रीय अनुदान से प्राप्त होगी। इससे बहुत कुछ केंद्र सरकार पर निर्भर है। ऐसे में सरकार यदि अपने स्तर पर वित्तीय संसाधन नहीं जुटाती तो आने वाले समय में परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

पिछली सरकार की रिपोर्ट नहीं आई, वर्तमान सरकार तलाश रही संसाधन
पिछली सरकार में रिसोर्स मोबलाइजेशन यानी आर्थिक संसाधन तलाशने के लिए कमेटी का गठन किया गया था। पूर्व सरकार में इसके लिए मंत्रियों की कमेटी बनाई गई थी लेकिन उसकी रिपोर्ट ही नहीं आई। वर्तमान सरकार ने फिर से वित्तीय संसाधन तलाशने की बात कही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विद्युत, वन और खनन के साथ पर्यटन के क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं तलाशने की बात कही है। 

कर्ज लेने के लिए आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति
कर्ज लेने के लिए कांग्रेस-भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चल रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने बजट भाषण में पूर्व सरकार की तरफ से लिए गए कर्ज को प्रदेश पर बोझ बताया। उधर, कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्रिहोत्री ने वर्तमान सरकार को कर्जों पर आश्रित सरकार बताया है, जिसमें सरकार सिर्फ कर्ज और केंद्रीय अनुदान पर निर्भर है।