हाल-ए-हिमाचल: कांग्रेस जबरदस्त पलटवार की तैयारी में

Monday, Oct 22, 2018 - 01:16 PM (IST)

शिमला (संकुश): विधानसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव में पलटवार करने की तैयारी में है। वीरभद्र सिंह और सुखविंद्र सिंह सुक्खू के बीच सरेआम हो रहे युद्ध के बावजूद कांग्रेस हाईकमान अब काफी सक्रिय भूमिका में है और नहीं चाहती कि 2019 के लिए कोई भी कमी रखी जाए। ऐसे में कांग्रेस ने अपने लिए ज्यादा समर्थन देने वाले राज्यों की सूची बनाकर उन पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की शुरुआत की है। हिमाचल भी उन्हीं राज्यों में से एक है। कांग्रेस सत्ता गंवाने और मात्र लोकसभा की चार सीटें होने के बावजूद यहां गंभीरता से अपनी प्लानिंग को अंजाम देने की फिराक में है।

कांग्रेस की सोच है कि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद की सियासी स्थितियां एक साल के भीतर ही उसकी तरफ हो गई है। कांग्रेस को लगता है कि दावों के विपरीत फिज़ूलखर्ची और किराए बढ़ाकर जनता पर बोझ लादने से मौजूदा सरकार की साख गिरी है। कांग्रेस यह भी मान रही है कि महंगाई और खासकर पेट्रोल डीजल की कीमतें भी बीजेपी के विरुद्ध जाएंगी। हिमाचल में बीजेपी जहां नए-नेतृत्व की तमाम कोशिशों के बाद भी अव्यवस्था और फूट का शिकार है। वर्तमान में एक अकेले वीरभद्र सिंह ही हैं जिनके सुर संगठन को लेकर बगावती हैं। शेष नेता सुक्खू के खिलाफ नहीं बोल रहे। 

उधर नेता प्रतिपक्ष और पार्टी अध्यक्ष एक साथ पूरे प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। ऐसे में हाईकमान वीरभद्र सिंह को फिलहाल तो कुछ नहीं कह रही लेकिन उसे विश्वास है कि  जल्द ही उनके बगावती सुर भी शांत हो जाएंगे। माना जा रहा है कि वीरभद्र सिंह का सुक्खू विरोध मंडी संसदीय सीट के टिकट को लेकर ज्यादा है। ऐसे में हाईकमान ने जो फार्मूला तय किया है उसके तहत मंडी संसदीय सीट वीरभद्र सिंह के लिए ही छोड़ दी गई है। चाहे वे लड़ें या उनकी धर्मपत्नी। यह फार्मूला वीरभद्र सिंह को भी सूट करता है। या यूं कह लें कि यही तो वे चाहते हैं। उधर अन्य तीनों सीटों पर कांग्रेस ने पहली और दूसरी पसंद लगभग फाइनल कर दी है।  

कांगड़ा से सुधीर शर्मा का उतरना करीब करीब पक्का हो गया है और इस मामले में जीएस बाली और दूसरे दावेदारों को साफ भी कर दिया गया है। इसी तरह शिमला सीट से पार्टी विनोद सुल्तानपुरी और धनीराम शांडिल को फ्रंट में रखकर चल रही है। जबकि हमीरपुर सीट पर भी राजेश धर्माणी को संकेत मिल चुका है। हालांकि यहां अभिषेक या फिर खुद राजेंद्र राणा को उतारे जाने का विकल्प भी खुला रखा गया है। यदि मंडी से वीरभद्र सिंह खुद उतरे तो फिर शिमला, हमीरपुर के विकल्प आजमाए जा सकते हैं। अन्यथा लगभग फैसला हो ही चुका है। हमीरपुर सीट पर हालांकि कांग्रेस कहीं अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। हाईकमान ने नेता प्रतिपक्ष और पार्टी अध्यक्ष को स्पष्ट कर दिया है कि अनुराग के खिलाफ एकजुट होकर लड़ा जाए ताकि शेष तीन सीटों पर एक बेहतर संदेश जा सके। हालांकि अभी यही देखना होगा कि क्या कांग्रेस सच में एकजुट हो पाती है।   
 

Ekta