नहीं रहे कर्ण सिंह, राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन

Friday, May 12, 2017 - 07:30 PM (IST)

कुल्लू (मनमिंदर अरोड़ा)। आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ कुल्लू में किया गया। उनके पुत्र आदित्य विक्रम सिंह ने चिता को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में कई मंत्रियों के साथ-साथ बीजेपी के नेता भी शामिल हुए। सभी ने शोक में डूबे परिवार को ढांढस बंधाया। इससे पहले कर्ण सिंह का पार्थिव सेवा हेलिकॉप्टर के लिए दिल्ली से भुंतर लाया गया है। शव को उनके पैतृक निवास तक ले जाया गया जहां भारी तादाद में लोग पहले से ही जमा थे। उनकी अंतिम यात्रा में भारी संख्या में जनसैलाब उमड़ पडा। हर किसी ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी।

 

कई दिनों से अस्वस्थ थे कर्ण
कैबिनेट मंत्री कर्ण सिंह पिछले कुछ समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती थे। रात करीब 2 बजे उन्होंने दिल्ली में ही अंतिम सांस ली। कर्ण सिंह के परिवार में पत्नी शिवानी सिंह और बेटे आदित्य विक्रम सिंह हैं। कर्ण सिंह के एक बेटे का काफी वर्षों पहले दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। कर्ण सिंह कुल्लू राजपरिवार से ताल्लुक रखते थे।

 

कुल्लू राजघराने से था संबंध
कुल्लू राज परिवार से संबंध रखने वाले कर्ण ने अपने राजनीतिक करियर में लंबा संघर्ष किया। उन्होंने शुरुआत बीजेपी के साथ 1990 में की। 1990 से लेकर 1993 तक वह बीजेपी के विधायक रहे। 1993 में कर्ण सिंह को कांग्रेस के सत्य प्रकाश ठाकुर ने हराया। 1998 में सत्य प्रकाश ठाकुर को हराकर उन्होंने पिछला हिसाब चुकता कर लिया। धूमल सरकार में वह प्राथमिक शिक्षा राज्य मंत्री बने। बीजेपी की गुटबाजी के चलते 2003 में कर्ण सिंह को बंजार छोड़कर कुल्ल से चुनाव लड़ना पड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा। 2012 के विधानसभा चुनाव में कर्ण सिंह ने बीजेपी सरकार में वन मंत्री रहे खीमी राम शर्मा को नौ हजार दो सौ वोटों से हराकर रिकॉर्ड कायम किया।