चुनावी रण तैयार, अब योद्धाओं का इंतजार

punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2019 - 11:09 AM (IST)

धर्मशाला/नाहन (सौरभ/साथी): धर्मशाला व पच्छाद में चुनावी रण तैयार है, अब केवल योद्धाओं के उतरने का इंतजार है। उपचुनाव के ऐलान के साथ ही दोनों हलकों में राजनीतिक पारा चढ़ गया है और टिकट के दावेदारों की धड़कनें तेज हो गई हैं। यह उपचुनाव जहां सतारूढ़ भाजपा सरकार के लिए साख का सवाल है, वहीं लोकसभा चुनाव के बाद संगठन में बदलाव के दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए भी उपचुनाव की परीक्षा आसान नहीं होगी। धर्मशाला व पच्छाद में भाजपा के भीतर टिकट के दावेदारों की लंबी फौज है, जबकि कांग्रेस में टिकटार्थियों की हालांकि लंबी सूची नहीं है लेकिन पार्टी दोनों हलकों में नए चेहरे उतारने की बजाय पुराने धुरंधरों पर ही दांव लगाने पर विचार कर रही है।  


धर्मशाला में भाजपा के टिकट की रेस में उमेश दत्त, सचिन शर्मा, राजीव भारद्वाज, संजय शर्मा व विशाल नैहरिया सहित कुछ अन्य नाम शामिल हैं। जबकि पच्छाद में सुरेंद्र चौहान, रीना कश्यप, आशीष सिंह और पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष दयाल प्यारी का नाम दावेदारों में शामिल है। सियासी सूत्र बताते हैं कि धर्मशाला में सांसद किशन कपूर तो पच्छाद में सांसद सुरेश कश्यप अपनी-अपनी पसंद के उम्मीदवार उतारने की हाईकमान से पुरजोर पैरवी कर रहे हैं। जबकि हाईकमान संगठन से जुड़े व्यक्ति को टिकट देना चाहता है। हालांकि केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में ही उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगेगी। उधर, कांग्रेस धर्मशाला व पच्छाद में दोनों पूर्व मंत्रियों सुधीर शर्मा और गंगूराम मुसाफिर पर पुन: दांव खेल सकती है। हालांकि धर्मशाला में देवेंद्र जग्गी और पच्छाद में दिनेश आर्य का नाम भी चर्चा में है। टिकट के प्रबल दावेदार पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा बीते 2 दिनों से दिल्ली में डटे हुए हैं जबकि गंगूराम मुसाफिर भी जमीनी स्तर पर प्रचार के अलावा आलाकमान से निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं। 

भाजपा का मजबूत पक्ष

लोकसभा चुनाव की तर्ज पर भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाई गई जनहित की योजनाओं और प्रदेश में पौने 2 साल की उपलब्धियों के नाम पर चुनावी समर में उतरेगी। इसके अलावा राष्ट्रवाद व जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को भी भाजपा अपना चुनावी हथियार बनाएगी। 

कांग्रेस का मजबूत पक्ष

उपचुनाव में कांग्रेस महंगाई, भ्रष्टाचार व भाई-भतीजावाद के अलावा धर्मशाला में स्मार्ट सिटी के रुके पड़े कार्यों व दूसरी राजधानी के दर्जे को मुद्दा बनाएगी। साथ ही पच्छाद और धर्मशाला में भाजपा की आपसी खींचतान का भी लाभ उठाने का प्रयास करेगी। 

भाजपा का कमजोर पक्ष

धर्मशाला में स्मार्ट सिटी के ठप पड़े कार्य और नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली के मसले उपचुनाव में भाजपा के लिए कमजोर कड़ी साबित हो सकते हैं। साथ ही दोनों हलकों में टिकट के दावेदारों की लंबी फौज को देखते हुए भितरघात की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। 

कांग्रेस का कमजोर पक्ष

उपचुनाव में भाजपा को चुनौती देने की राह में कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी सबसे बड़ा रोड़ा है। इसके अलावा कांग्रेस के पास दोनों विस हलकों में पुराने उम्मीदवारों के अलावा कोई मजबूत चेहरा नहीं है। इसके अलावा प्रदेश में अब तक हुए उपचुनावों में जनता अमूमन सत्तारूढ़ दल का ही साथ देती आई है। 


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Ekta

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