45 साल का हुआ हिमाचल का ‘यह’ जिला, देश व दुनिया में बनाई अलग पहचान

Saturday, Sep 02, 2017 - 01:25 AM (IST)

सोलन: पिछले 45 वर्षों में सोलन जिला ने काफी शानदार सफर किया है। इस अवधि में सोलन ने कई कारणों से देश व दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। पूरे सफर में अहम बात यह है कि सोलन में अधिकतर तरक्की यहां के नेताओं व सरकार से ज्यादा लोगों के दम पर ही हुई है। 1 सितम्बर, 1972 को सोलन को जिला घोषित किया गया था। सोलन जिला पंजाब व महासू के हिस्सों को मिलाकर बनाया गया था। जिला बनने के बाद से सोलन में जबरदस्त तरक्की हुई। सोलन को कालका-शिमला राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर होने का काफी फायदा मिला। यह भी एक कारण रहा कि सोलन में दूसरे राज्यों से आकर लोग बसने लगे और अब सोलन मिनी भारत बन चुका है। यहां पर देश के लगभग हर राज्य के लोगों रहते हैं।

मशरूम सिटी ऑफ इंडिया का मिल चुका है खिताब
इस दौरान सोलन को मशरूम सिटी ऑफ इंडिया का खिताब भी मिल चुका है और टमाटर के उत्पादन के कारण भी सोलन की अलग पहचान बन चुकी है। टमाटर सहित अन्य नकदी फसलों ने सोलन के किसानों की आॢथकी को सुधारने में अहम रोल अदा किया है जबकि अब शिक्षा के क्षेत्र में भी सोलन में क्रांति आई है। यह प्रदेश का एजुकेशन हब बन चुका है। इसी प्रकार सोलन जिला का बी.बी.एन. क्षेत्र अब नए औद्योगिक क्षेत्रों के कारण अलग पहचान रखता है। पहले सोलन जिला के चम्बाघाट व परवाणु में उद्योग हुआ करते थे जिनमें कार्य करने के लिए अन्य राज्यों से भी लोग आते थे।

मोहन मिक्कन ब्रुरी कंपनी का योगदान सरहानीय
इसके अलावा सोलन को अलग पहचान देने में यहां पर स्थापित मोहन मिक्कन ब्रुरी कंपनी का योगदान भी काफी सराहनीय रहा है। समय के साथ-साथ सोलन में काफी ज्यादा तरक्की हुई है। यहां पर अस्पताल, पानी की नई स्कीमें, नई सड़कें, नए उद्योग व नए 8 विश्वविद्यालय स्थापित हुए हैं। नालागढ़-बद्दी क्षेत्र में उद्योग के क्षेत्र में क्रांति आई है लेकिन इस लिहाज से यहां पर सुविधाएं न बढऩे के कारण अब तरक्की लोगों के लिए सिरदर्द भी बनने लगी है।