इस दिव्यांग अनीतू की दर्दभरी दास्तां पढ़कर आपकी भी आंखों से आ जाएंगे आंसू

Monday, Dec 05, 2016 - 10:40 AM (IST)

शिमला: शिमला के ननखड़ी उप तहसील के कुंगल बाल्टी गांव की दिव्यांग का दंश झेल रही अनीतू की दर्दभरी दास्तां पढ़कर आपकी भी आंखों से आंसू आ जाएंगे। बताया जा रहा है कि चलने-फिरने में असमर्थ है। ऊपर से दिव्यांग अनीतू चार बाई चार फीट की झोपड़ी में रह रही है और उसके हर ओर बदबू ही है। वह इसी झोपड़ी में सोती, खाती और पीती है। कुंगल बाल्टी गांव की दिव्यांग अनीतू का जीवन नारकीय परिस्थितियों में गुजर रहा है। चलने-फिरने में असमर्थ है, ऐसे में शौच भी इसी झोपड़ी में कर देती है। 


बूढ़ें नाना-नानी कर रहे अनीतू की देखभाल
अनीतू की देखभाल कर रहे नाना-नानी जिंदगी के आखिरी पड़ाव में हैं। दोनों के लिए खुद को संभालना ही मुश्किल हो गया है। 25 साल की अनीतू पिछले 3 साल से इसी झोपड़ी में पड़ी है। मां ने इसे नाना-नानी के हवाले कर शादी कर ली। कभी-कभार इससे मिलने आती है। नाना राम सिंह और नानी केम्पू देवी ने बताया कि 22 साल तक उन्होंने अनीतू का पालन-पोषण किया। अब दोनों का बूढ़ा शरीर जवाब देने लग गया है। 


पहाड़ी बोली समझती है अनीतू पर बोल नहीं सकती
अनीतू का नाम पंचायत के परिवार रजिस्टर में भी दर्ज नहीं है। उसके पिता के बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम। गांव के लोग कहते हैं कि उसे पोलियो है। गरीबी अज्ञानता और दुर्गम क्षेत्र होने के कारण उसे आज तक किसी डॉक्टर को नहीं दिखाया गया। वह पहाड़ी बोली समझती तो है पर बोल नहीं सकती है। केम्पू देवी बताती हैं कि अनीतू को खाने में चपाती पसंद है वो चावल नहीं खाती। वह अपनी मां को भी याद करती है, जो कभी कभी उससे मिलने आती है। केम्पू देवी और राम सिंह चाहते हैं कि अनीतू को किसी आश्रम में रख दिया जाए। उन्हें चिंता है कि उनकी मौत के बाद उसकी पीछे से देखभाल कौन करेगा। शिमला की उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने बताया कि फाउंडेशन के सदस्य उनके साथ ननखड़ी पहुंचे। लड़की को चार फुट के ढारे में रखा गया है। श्रीवास्तव ने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सचिव को पत्र लिखकर अनीतू की व्यथा बताई है और मांग की है कि 15 दिसंबर तक लड़की को गांव से लाकर उसकी डॉक्टरी जांच कराई जाए और किसी नारी सेवा सदन में रखा जाए।