ज्वालाजी अस्पताल में बीते 2 वर्षों से धूल फांक रही हाईमास्क लाइट

Friday, Nov 22, 2019 - 01:16 PM (IST)

ज्वालामुखी (पंकज) : ज्वालाजी अस्पताल में लगी हाईमास्क लाइट बीते 2 सालों से धूल फांक रही है, लेकिन इस लाइट को ठीक करवाने की जहमत अभी तक प्रसाशन द्वारा नहीं की गई है। अस्पताल में लगातार हो रही चोरियों से भी प्रसाशन सीख नहीं ले रहा है और आए दिन चोरियों के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो हाईमास्क लाइट चालू न होने के चलते ये चोर रात के अंधेरे का फायदा उठाकर इस तरह की वारदान को अंजाम दे रहे हैं ओर इनके हौंसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। 

आलम ये है कि ज्वालाजी अस्पताल में चोरियों का सिलसिला बरकरार है। इतने वर्षों से खराब पड़ी हाईमास्क लाइट को दरुस्त न करने को लेकर प्रसाशन की भी कार्यप्रणाली पर लोगों ने सवाल उठाएं है और मामले को लेकर स्थानीय विधायक रमेश धवाला से हस्तक्षेप करने की मांग उठाई है। दरअसल हाल ही में अस्पताल में 2 चोरी के मामले सामने आए हैं जिसमें एक व्यक्ति का कुछ दिन पहले अस्पताल के बाहर खड़ी गाड़ी से किसी ने मोबाइल फोन चुरा लिया था, जो उसे अभी तक नही मिला है। इसकी शिकायत उक्त व्यक्ति ने थाने में भी की है। इस बीच बीते 2 या 3 दिन पहले अस्पताल के ही कर्मचारी की यहां खड़ी बाइक को कुछ लोग उठाकर ले गए, जो उसे बाद में नजदीक गर्ल्ज स्कूल के पास टूटी फूटी हालत में मिली। अज्ञात चोरों द्वारा उक्त बाइक की नंबर प्लेट्स तोड़ दी गई थी। वहीं बाइक के मालिक का कहना है कि बाइक में ऑयल कम होने की वजह से चोर इसे दूर नहीं ले जा सके और तेल खत्म होने के चलते यहां छोड़ गए। 

हैरानी की बात ये है कि जब चोरी की वारदात में संलिप्त लोगों को पकड़ने के लिए अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया तो अंधेरे के चलते इनकी पहचान साफ से नहीं हो पाई। स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में लगी हाईमास्क लाइट चालू होने के बाद अस्पताल में हो रही चोरियों पर रोक लग सकती है। वहीं लोगों को भी राहत मिलेगी और लाइट होने के चलते अस्पताल से अंदर बाहर जाते समय परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। लोगों का आरोप है कि अस्पताल परिसर में अंधेरा होने के चलते कई बार यहां घूम रहे आवारा पशु भी लोगों को घायल कर देते हैं। अंधेरे में इन पर लोगों की नज़र न पड़ने के चलते ये घटनाएं होते हुए भी अस्पताल में आम देखी गई हैं।

बंद ही रहेगी तो इसे लगवाने का औचित्य क्या 

लोगों का आरोप है कि यदि अस्पताल परिसर में लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी हाईमास्क लाइट बंद ही रहेगी तो इसके लगवाने का असल मे औचित्य क्या था। इस पर लोग कई सवाल खड़ा कर रहे हैं, वहीं इसे लाखों रुपए की बर्बादी कहने से भी परहेज नही कर रहें हैं। फिलहाल अब देखना ये होगा कि आखिर कुंभकर्ण की नींद में सो रहा प्रसाशन इस हाईमास्क लाइट को कब तक ठीक करवाने की जहमत करता है ओर लोगों को आ रही समस्याओं से निजात दिलाता है। 

किस प्रसाशन के अंडर है हाईमास्क स्थिति ही स्प्ष्ट नहीं

हैरानी की बात ये है कि अस्पताल के बाहर लगी हाईमास्क लाइट किस प्रसाशन के अंडर है इसके बारे में ही स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। इसे चालू करवाने को लेकर अस्पताल प्रसाशन से लेकर नगर परिषद और मंदिर प्रसाशन के आलाअधिकारियों से बात की गई तो सभी ने एक दूसरे पर इस हाईमास्क का जिम्मा थोपा ओर अपने क्षेत्राधिकारों से इसे बाहर बताया। दिलचस्प बात ये है कि किसी भी विभाग ने इस लाइट को ठीक करवाने को लेकर कोई बात स्पष्ट नहीं की। अब अस्पताल के बाहर लगी हाईमास्क लाइट भी कहीं राजनीति का शिकार न हो जाए ये देखना बाकि होगा।

Edited By

Simpy Khanna