आपराधिक मामले में निष्पक्ष जांच व निष्पक्ष ट्रायल आरोपी का मौलिक अधिकार : हाईकोर्ट

punjabkesari.in Tuesday, Sep 03, 2019 - 04:27 PM (IST)

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला के कथित दीपक प्रोजैक्ट के बहुचर्चित टैलीफोन एक्सचेंज घोटाले से जुड़े मामले में व्यवस्था दी है कि लोकतांत्रिक देश में आरोपी का निष्पक्ष ट्रायल ही नहीं बल्कि निष्पक्ष जांच का अधिकार भी मौलिक अधिकार है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने सीबीआई द्वारा जांच के समय एकत्रित किए गए दस्तावेजों को चालान के साथ पेश न करने और उन्हें प्रार्थी को न दिए जाने के मामले की सुनवाई के पश्चात उक्त निर्णय सुनवाया।

मामले के अनुसार सीबीआई ने जांच के समय प्रार्थी के खिलाफ  कुछ दस्तावेज एकत्रित किए थे, लेकिन दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत अदालत के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट के साथ संलग्न नहीं किया। प्रार्थी ने सीबीआई अदालत से गुहार लगाई थी कि चार्ज के समय इन दस्तावेजों को अदालत के समक्ष पेश किया जाए और इनका अवलोकन किया जाए। मामले का निपटारा करते हुए न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि हम स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं और निष्पक्ष ट्रायल ही नहीं बल्कि निष्पक्ष जांच भी हमारा मौलिक अधिकार है।

न्यायालय ने कहा कि हम अंग्रेजों के जमाने में नहीं जी रहे हैं, जिसमें अभियोजन पक्ष अपनी सहूलियत के हिसाब से अदालत के समक्ष दस्तावेज पेश करे। जो दस्तावेज अभियोजन पक्ष के हित में हो उसे तो अदालत में पेश किया जाए और जो जांच के समय दोषी के पक्ष में मिले हों उन्हें अदालत से छिपाया जाए। अदालत ने सीबीआई की इस कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की।

हाईकोर्ट ने कहा कि जांच एजैंसी से आशा की जाती है कि वो निष्पक्ष जांच करे और जांच से संबंधित सभी दस्तावेज अदालत के समक्ष पेश करे। यदि जांच एजैंसी ऐसा नहीं करती तो उस स्थिति में अदालत जांच एजैंसी की कार्यप्रणाली को सुधारने संबंधी आदेश पारित कर सकती है। न्यायालय ने प्रार्थी कंपनी की याचिका को स्वीकार करते हुए उक्त निर्णय सुनाया।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Vijay

Recommended News

Related News