हैल्थ सैंटरों में डॉक्टरों की कमी पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से तलब की रिपोर्ट

punjabkesari.in Thursday, Jul 09, 2020 - 10:05 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): हाईकोर्ट ने प्रदेशभर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ  की कमी पाए जाने पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह अदालत को बताएं कि प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कितने डाक्टर नियुक्त किए गए हैं और हरेक केंद्र में कितने कर्मचारियों कीसेवाओं की आवश्यकता रहती है। शिमला स्थित घणाहट्टी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर की कमी को उजागर करने वाली याचिका की वीडियो कॉन्फ्रैंस के जरिए सुनवाई के पश्चात अदालत के उक्त आदेश पारित किए।

जनहित में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि घणाहट्टी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत स्थायी डाक्टर का मार्च 2020 में स्थानांतरण किया गया था और उस दिन से यह स्वास्थ्य केंद्र बिना डाक्टर के चल रहा है। याचिका में दलील दी गई है कि घणाहट्टी में लगभग 12 हजार लोगों की संख्या है, जिनमें से करीब 1200 लोग वरिष्ठ नागरिक हैं, जिन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर उपलब्ध न होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। घणाहट्टी के उपप्रधान द्वारा दायर याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि वैश्विक बीमारी कोविड-19 के चलते जोनल अस्पताल दीन दयाल उपाध्याय को सैंटर बनाया गया है, जिस कारण इस अस्पताल में आम लोगों का इलाज नहीं हो रहा है।

उधर, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में आम मरीजों की संख्या ज्यादा हो गई है लिहाजा शिमला शहर के आसपास वाले इलाकों में अगर स्वास्थ्य केंद्र स्थापित हैं तो आम लोग वहां अपना इलाज करवा सकते हैं लेकिन इन स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ  की कमी होने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले की आगामी सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की है और सरकार से प्रदेशभर के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ  की नियुक्ति बारे जानकारी तलब की है।


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Vijay

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