हिमाचल में डेरा ब्यास की जमीन पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पढ़ें खबर

Saturday, Nov 04, 2017 - 11:11 PM (IST)

सोलन: राधा स्वामी सत्संग ब्यास जिसका प्रचलित नाम डेरा ब्यास भी है अब प्रदेश में अपनी दान में मिली या खरीदी गई जमीन को नहीं बेच सकेगा। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2 नवम्बर को इस संबंध में एक याचिका की सुनवाई के दौरान इस पर रोक लगा दी है। बता दें कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास के पास हिमाचल प्रदेश में करीब 6000 हजार बीघा जमीन है। दान में मिली या कौडिय़ों के भाव में खरीदी जमीन को अब डेरा ब्यास बेचना चाहता है और इसके लिए हाल ही में डेरा ब्यास ने सरकार से आग्रह किया था कि उसे सरप्लस जमीन बेचने की अनुमति दी जाए। 

सरकार ने कैबिनेट की बैठक में लिया था यह फैसला
हिमाचल प्रदेश में सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट के अंतर्गत कोई भी गैर-कृषक जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं कर सकता है। ऐसा केवल हिमाचल प्रदेश लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के बाद ही संभव हो सकता था। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर फैसला लिया था कि हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग अधिनियम में संशोधन कर दिया जाए ताकि जिन धार्मिक संस्थानों ने अपनी सरप्लस भूमि को बेचने, गिफ्ट करने या गिरवी रखने की मंजूरी मांगी है, वो संभव हो सके। अब न्यायालय के आदेशों के बाद इस जमीन को बेचने व इस पर किसी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लग गई है।

सोलन के व्यक्ति ने लगाई थी याचिका 
सोलन के ओच्छघाट के रहने वाले स्वामी बलराम सिंह ने माननीय न्यायालय में याचिका दायर की थी कि डेरा ब्यास द्वारा नियमों को ताक पर रखकर जमीन खरीदी है और अब धन्नासेठों को इसे बेचने की फिराक में है। इस पर माननीय उच्च न्यायालय ने 2 नवम्बर को इस पर सुनवाई की और भूमि को बेचने अथवा इस पर किसी तरह के निर्माण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है।

आर.टी.आई. से हुआ खुलासा
बलराम सिंह द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एकत्र जानकारी के अनुसार :-
-7 जून, 1991 राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा बाबा जयमल सिंह जिला अमृतसर पंजाब ने तहसीलदार हमीरपुर को चैरिटेबल अस्पताल खोलने के लिए हमीरपुर के भोटा में 155 बीघा जमीन खरीदने के लिए पत्र लिखा था। इसकी प्रति हमीरपुर के तत्कालीन जिलाधीश को भी दी गई।
-20 जून, 1991 को हमीरपुर के जिलाधीश ने तहसीलदार को उपरोक्त पत्र अनुसार लिखा कि सेल डीड लोगों के घर में ही करने के लिए इंतजाम किए जाएं।
-26 जून को तहसीलदार ने जिलाधीश को पत्र लिखा कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास धार्मिक संस्था है और प्रदेश में टैनेंसी एक्ट की धारा 2(2) के अनुसार कृषक की परिभाषा में नहीं आती तथा धारा 118 के अनुसार भूमि बतौर बय हिब्बा रहन लेने की भी संस्था पात्र नहीं है।
-इसके बाद तत्कालीन जिलाधीश ने सचिव (राजस्व) को लिखा कि राधा स्वामी के पास हमीरपुर, भोटा, नदौन व सुजानपुर में क्रमश: 4, 7, 7 व 3 कनाल भूमि और भी है, जोकि असल में नहीं थी।
-सचिव ने लॉ ओपिनियन मांगा व लॉ डिपार्टमैंट ने कहा कि यदि इसके पास प्रदेश में जमीन है तो यह कृषक की परिभाषा में आते हैं।
-7 अगस्त, 1991 को फाइनांस कमीश्नर ने इसका जवाब भेजा, जिसके बाद इसी क्लैरीफिकेशन पर सोलन में भी 20 अप्रैल, 1992 को जमीन खरीदी गई।

निर्माण का कोई भी नक्शा पास नहीं
बलराम सिंह ने यह भी बताया कि सोलन के रबौण में खरीदी गई जमीन पर टी.सी.पी. नियमों को ताक पर रखकर निर्माण किया गया व मलबा गिराकर पेड़ दबा दिए व 2 नाले बंद कर दिए। इसका खुलासा तब हुआ जब टी.सी.पी. से इसकी जानकारी मांगी गई व 11 मई, 2017 को टी.सी.पी. ने बताया कि निर्माण के लिए कोई परमिशन विभाग ने नहीं दी है और न ही कोई नोटिस इस संबंध में जारी हुआ है। इसमें यह भी बताया गया कि निर्माण का कोई भी नक्शा पास नहीं है।