कोर्ट ने शिक्षा सचिव से पूछा- रिक्त पद भरने के लिए क्या कदम उठाए

Thursday, Sep 13, 2018 - 11:52 AM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारणों पर संतोषजनक उत्तर न देने पर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को एक बार फिर अदालत में पेश होने के आदेश दिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात शिक्षा सचिव से पूछा है कि शिक्षा विभाग में रिक्त पड़े सभी प्रकार के पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा सचिव का शपथ पत्र पिछले आदेशानुसार नहीं है। कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी थी कि स्कूलों में हर विषय के अनुसार रिक्त पदों की संख्या कुल कितनी है। जिले के अनुसार स्कूलों की संख्या कुल कितनी है। कितने पदों को भरने के लिए हिमाचल प्रदेश स्टाफ सिलैक्शन कमीशन को रिकविजिशन भेजी गई है। कितने समय में खाली पड़े पदों को भरा जाएगा।

इसके बाबत जानकारी सचिव के शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय के समक्ष रखने के आदेश जारी किए गए थे। इससे पहले कोर्ट ने शिक्षा सचिव से पूछा था कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के खाली पड़े पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। यदि कदम उठाए गए हैं तो किस स्टेज तक पहुंचे हैं। शिक्षा सचिव ने पिछले शपथ पत्र में कहा था कि स्कूलों में अध्यापकों की कमी की एक वजह अदालतों में लंबित पड़े मामलों का होना भी है। इस पर कोर्ट ने यह भी पूछा था कि वे कौन-कौन से मामले हैं, जिनके कारण सरकार स्कूलों में रिक्त पड़े पदों को नहीं भर पा रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि शिक्षा विभाग कोर्ट के आदेशों के बावजूद शिक्षकों को समय पर नियुक्ति प्रदान नहीं करता, जिसका खमियाजा स्कूली छात्रों की भुगतना पड़ता है। शिक्षा सचिव के अनुसार प्राइमरी स्कूलों में 1754, अप्पर प्राइमरी स्कूलों में 2499 व सी.एंड वी. अध्यापकों जिनमें ओरल टीचर, भाषा अध्यापक, कला अध्यापक व शारीरिक शिक्षा अध्यापक आते हैं, के 5277 पद रिक्त पड़े हैं। 

मामले में नियुक्त एमिक्स क्यूरी ने बताया है कि शिक्षा विभाग के लिए शिक्षकों की तनख्वाह देने को जारी कुल बजट का 23 प्रतिशत हिस्सा केवल इसलिए लैप्स हो जाता है कि ये पद सरकार द्वारा भरे ही नहीं गए हैं। कोर्ट ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष को भी व्यक्तिगत शपथ पत्र के माध्यम से यह बताने को कहा है कि शिक्षकों के पदों को भरने हेतु कितने दिनों में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। आयोग ने कोर्ट को बताया था कि भाषा अध्यापक के 122, ड्राइंग मास्टर के 77 व शास्त्री के 234 पदों को भरने के लिए सरकार को सिफारिश भेज दी गई है। अब  राज्य सरकार द्वारा इन पदों को भरने के लिए नियुक्ति दी जानी है। प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह इस बाबत जल्द से जल्द जरूरी प्रक्रिया संपन्न कर लें। इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया था कि प्रधान सचिव शिक्षा द्वारा दायर किया शपथ पत्र शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के मुताबिक नहीं है, विशेषतया जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षकों की तैनाती विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से होगी। 

राज्य सरकार ने हालांकि 9 जुलाई को 1331 व 1036 शिक्षकों के पदों को भरने के लिए कदम उठाए हैं। जबकि उनके मुताबिक 14354 पद अभी तक रिक्त पड़े हैं। कोर्ट मित्र ने न्यायालय को यह भी बताया था कि प्रधान सचिव न्यायालय को रिक्त पदों के बारे में स्पष्ट ब्यौरा देने में नाकाम रहे हैं। उनके अनुसार शिक्षा विभाग की ओर से जो कदम उठाए गए हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप उठाए गए कदम नाकाफी हैं। सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री की इस जनहित याचिका की जानकारी व समय-समय पर जारी कोर्ट के उपरोक्त आदेशों से अवगत करवाया जाएगा। मामले पर आज फिर से सुनवाई होगी।

Ekta