यहां मरीज के लिए जरूरी है ‘पैदल’ चलना, 10 KM चल लिया तो जीत गया ‘जिंदगी की जंग’

Friday, Jun 14, 2019 - 04:47 PM (IST)

पांवटा साहिब (रोबिन): विकास के तमाम दावों के बीच आज भी कई क्षेत्र विकास से कोसों दूर हैं। स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं तो दूर की बात है यहां जीवन रेखाएं कही जाने वाली सड़कें भी नहीं पहुंच पाई है। शिलाई विधानसभा क्षेत्र के तहत कई गांव के 5 से 10 किलोमीटर पैदल सफर तय करना पड़ता है। कोई बीमार हो जाए तो गांव के लोग मरीज को कंधों पर उठा कर सड़क तक पहुंचते हैं। कभी देर हो जाए तो मरीज आधे रास्ते में ही जिंदगी की जंग हार जाते हैं। इस गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए डॉक्टर और एम्बुलेंस, शिक्षा के लिए अध्यापक और किसानों की सहायता के लिए विभागों के लोग नहीं पहुंचते। 

ऐसे गांवों में मरीजों और गर्भवती महिलाओं का जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि उस समय गांव में कितने लोग मौजूद हैं। उतने लोग मरीज को सड़क तक पहुंचा पाते हैं तो जीवन की संभावना रहती है नहीं तो सब राम भरोसे। मरीज को सड़क तक पहचान हमेशा चुनोती पूर्ण होता है। यही सफर मरीज की जिंदगी और मौत का फैसला करता है। ग्रामीनों का कहना है कि आजादी के दशकों वर्षों बाद भी गिरिपार में एक यह गांव खुइनल ऐसा है जो सड़क सुविधा से नहीं जुड़ सका है। जिस कारण लोगों को कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर जहां ग्रामीण सारा सामान कंधों पर उठा के लाते व ले जाते हैं। वहीं जब कोई ग्रामीण बीमार हो जाए तो उससे डंडी से कपड़ा बांधकर लगभग 5 किलोमीटर का सफर तय कर सड़क तक पहुंचते हैं।

इस बीच लगने वाले समय में यदि मरीज बाख गया तो गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया जाता है, नहीं तो आधे रास्ते में ही मरीज दम तोड़ कर जिंदगी की जंग हार जाता है। गांव के लोगों ने यह भी कहा कि यहां के दोनों दलों के विधायक से कहीं बाहर इस बारे में शिकायत कर चुके हैं। यही नहीं दौरे में आए सीएम जयराम ठाकुर को भी ज्ञापन दिया था पर समस्या ज्यों की त्यों बनी है। आज भी स्कूली बच्चों वह बुजुर्गों को पैदल सफर करके अपना घर पहुंचना पड़ रहा है। एक और केंद्र सरकार देश आगे बढ़ रहा के बड़े-बड़े दावे भाषणों में लोगों को सुना रहे हैं लेकिन धरातल पर अगर विकास की बात की जाए तो आज भी कई गांव ऐसे हैं, जो सड़क जैसी सुविधाओं से महरूम है।

Ekta