यहां पीपल के पत्तों पर जलती थी दिव्य ज्योति, अब खतरे में पड़ा अस्तित्व (Video)

Thursday, Dec 13, 2018 - 03:31 PM (IST)

बिलासपुर (मुकेश): विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नयनादेवी मंदिर का प्राचीन एवं ऐतिहासिक पीपल के वृक्ष का अस्तित्व धीरे-धीरे मिटने के कगार पर है। श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा का केंद्र यह पीपल का वृक्ष कई महीनों से अंदर से खोखला होता जा रहा है। जब से इस पीपल के वृक्ष के आसपास संगमरमर लगाया गया है तब से यह समस्या आ रही है लेकिन अभी तक इसकी समस्या का निदान नहीं किया गया है। हालांकि ये प्राचीन भव्य पीपल का वृक्ष मंदिर की ऐतिहासिक धरोहर है, इसे बचाना मंदिर न्यास का परम कत्र्तव्य बनता है लेकिन विडंबना इस बात की है कि अभी तक इस वृक्ष को बचाने के लिए कोई भी व्यापक कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।

आदेशों को बीते 3 महीने पर नहीं हुई कार्रवाई

हालांकि समय-समय पर अधिकारियों को इसके बारे में अवगत भी करवाया गया। पिछले श्रावण अष्टमी नवरात्रों के दौरान मेला अधिकारी के रूप में तैनात ए.डी.एम. बिलासपुर विनय कुमार को भी इसके बारे में अवगत करवाया गया था। उन्होंने आदेश भी दिए थे कि इस वृक्ष को बचाने के लिए अतिशीघ्र उपाय किए जाएं लेकिन लगभग 3 महीने से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी इस वृक्ष को बचाने के लिए अभी तक कोई भी व्यापक कार्रवाई नहीं की गई।


श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा है पीपल का वृक्ष

श्रद्धालु इस पीपल के वृक्ष के ऊपर लाल रंग का धागा बांधते हैं और मन्नत मांगते हैं। मन्नत माता रानी की कृपा से जल्द पूरी हो जाती है और मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु फिर से यहां आकर इस वृक्ष के ऊपर बंधा हुआ धागा खोल देते हैं। इसलिए यह पीपल का वृक्ष श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है।


वृक्ष के पत्तों पर होते हैं मां की ज्योतियों के दर्शन

पूर्व बी.डी.सी. सदस्य जोगेंदर सिंह का कहना है कि इस पवित्र वृक्ष के पत्तों पर उन्होंने कई बार मां की ज्योतियों के दर्शन किए हैं और जिस तरह से यह वृक्ष अंदर से खोखला हो रहा है, उससे इसका अस्तित्व खतरे में है। वहीं मंदिर न्यास के अध्यक्ष एस.डी.एम. अनिल चौहान ने बताया कि इस संदर्भ में नौणी विश्वविद्यालय को पत्र लिखा गया है और जल्द वहां से प्रोफैसर बुलाए जा रहे हैं।

Vijay