यहां अवैध कब्जे हटाने को PWD लगा रहा कोर्ट के चक्कर, जानिए क्यों

Thursday, Sep 21, 2017 - 11:35 PM (IST)

जोगिंद्रनगर: जोगिंद्रगनर-सरकाघाट-घुमारवीं सड़क पर हुए अवैध कब्जों को हटाने के लिए आज लोक निर्माण विभाग को अदालतों में जद्दोजहद करनी पड़ रही है लेकिन बता दें कि ये कब्जे रातोंरात ही नहीं हो गए थे बल्कि विभाग के लापरवाह रवैये के कारण सड़क किनारे की बेशकीमती जमीन पर लोगों ने बहुमंजिला भवन बना लिए थे। लोक निर्माण विभाग के उपमंडलीय कार्यालय से महज 10 मीटर की दूरी पर लोगों द्वारा सरकारी भूमि हथिया ली गई लेकिन विभाग जान-बूझकर वर्षों तक आंख मूंद कर सोया रहा। बाद में विभाग को इस लापरवाही का बड़ा खमियाजा भुगतना पड़ रहा है तथा अदालतों में उसे आए दिन चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

हाईकोर्ट के आदेश पर टूटी विभाग की नींद
विभाग की निद्रा तब भंग हुई जब उच्च न्यायालय में सी.डब्ल्यू.पी. 1249/2001 के तहत भालचंद्र भारद्वाज बनाम हिमाचल प्रदेश याचिका में 25 अप्रैल, 2007 के खारिज होने के बाद अदालत ने पूरी सड़क पर अवैध कब्जों का पता लगाने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद विभाग ने केवल 2 माह में नेरी तक 217 केस अवैध कब्जों के केस बनाकर अदालतों में दायर कर दिए।

4 साल पहले लग गया था पता
हिमाचल प्रदेश रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटैक्शन एक्ट के 2002 के लागू होने के बाद विभाग द्वारा 2003 में जोगिंद्रनगर-घुमारवीं सड़क के तैयार करवाए इन्फ्रास्ट्रक्चर मैप में अधिकांश अवैध कब्जे चिन्हित हो गए थे लेकिन इसके बावजूद विभाग वर्षों तक लापरवाह बना रहा तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद 2007 में कुछ ही दिनों में सैंकड़ों मामले अदालतों के हवाले कर दिए गए।

मामले दर्ज करने में भी भाई-भतीजावाद
वर्षों बाद बनाए गए मामलों में भी भाई-भतीजावाद का सहारा लिया गया। अधिकांश मामले तो सरकार द्वारा अवैध कब्जों से सख्ती से निपटने के सख्त कानून पब्लिक परमिसिज एक्ट के तहत दायर किए गए लेकिन कुछ मामले बेहद लचीली धारा 163 के तहत दर्ज किए गए। 

विभाग ने खुद ही तोड़ा कानून 
अदालती आदेशों के बाद सड़क के किनारे अधिगृहीत भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है लेकिन यहां इस नियम की विभाग ने ही धज्जियां उड़ा दी हैं। राजस्व प्रशिक्षण संस्थान के सामने विभाग ने अधिगृहीत भूमि पर कनिष्ठ अभियंता कार्यालय का निर्माण करवाया है।

राजस्व विभाग भी जिम्मेदार
राजस्व विभाग की निशानदेही के बाद ही लोक निर्माण विभाग की भूमि पर हुए कब्जों की स्थिति स्पष्टï होती है लेकिन कई मामलों में अदालती आदेशों के बाद की गई निशानदेही में काफी विभिन्नताएं देखने को मिली हैं। कुछ अवैध कब्जे पक्की सड़क पर ही दर्शा दिए गए जबकि उसी सड़क पर विभाग ने कई बार टारिंग भी की है। कुछ मामलों में तो एक ही भूमि की 3 बार की गई निशानदेही अलग-अलग है। कई भू-मालिकों की मिलकीयती भूमि ही गायब हो गई है।