शोर न करें, यहां तपस्या में लीन हैं देवता

Monday, Jan 14, 2019 - 08:45 PM (IST)

मनाली : सूचना क्रांति के इस दौर में कुल्लू की देव आस्था ने फिर कौतुहल पैदा कर दिया है। ऐतिहासिक गांव गोशाल में टी.वी. व रेडियो सहित मनोरंजन के सभी साधनों को ग्रामीणों ने देव आदेश के चलते अपने से दूर कर दिया है। देवालयों की सारी घंटियों को बांध दिया गया है, ताकि कोई श्रद्धालु गलती से घंटी बजाकर देव आदेश की आज्ञा का उल्लंघन न कर सके। उझी घाटी के 9 गांव सोमवार से 42 दिन तक देव आदेश में बंध गए हैं। इन गांव के ग्रामीणों पर आराध्य देवों गौतम-व्यास ऋ षि व नाग देवता का आदेश सोमवार से लागू हो गया है। मान्यता है कि गांव के आराध्य देव इन दिनों तपस्या में लीन हो जाते हैं तथा देवताओं को शांत वातावरण मिले इसके लिए ग्रामीण गांव में टी.वी. व रेडियो नहीं चलाएंगे न ही खेतों-खलियानों का रुख करेंगे। 

आज भी देव प्रतिबंध का पालन कर रहे इन गांवों के लोग

उझी घाटी के गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच के लोग आज भी देव प्रतिबंध का पालन पूरी श्रद्धा से कर रहे हैं। व्यापक प्रतिबंध के चलते गोशाल गांव के ग्रामीण रेडियो-टीवी का प्रयोग नहीं करेंगे, जबकि अन्य गांव के ग्रामीण खेतों का रुख नहीं करेंगे। देवलु एवं गोशाल के ग्रामीण मेहर चंद ठाकुर का कहना है कि उझी घाटी के 9 गांवों के ग्रामीण आज से देव प्रतिबंध में बंध गए हैं। उनके अनुसार बुजुर्ग लोगों सहित युवा वर्ग भी इस प्रतिबंध को आज भी बड़ी श्रद्धा से निभा रहा है। देवता पर अटूट विश्वास का ही कारण है कि इस बार भी घाटी के ग्रामीण देव आज्ञा के पालन को पूरी तरह तैयार हैं।

42 दिन तक होगा देव आज्ञा का पालन

पंचायत प्रधान प्रताप ठाकुर का कहना है कि ग्रामीण 42 दिन तक देव आदेश में बंध गए हैं। ग्रामीण देवता के स्वर्ग प्रवास से लौटने पर देवताओं का जोरदार स्वागत करेंगे तथा आराध्य देवों के सम्मान में उत्सव का भी आयोजन करेंगे। देवता स्वर्ग प्रवास से लौटते ही भविष्य में होने वाली घटनाओं बारे भी भविष्यवाणी करेंगे।

गांव में छाया सन्नाटा

आराध्य देवों के 42 दिन तक स्वर्ग प्रवास पर चले जाने से गोशाल गांव सहित समस्त उझी घाटी में मायूसी छा गई है। सोमवार सुबह ही गांव देव वाद्य यंत्रों से गूंज उठा। देवता के स्वर्ग प्रवास में जाने से पहले देव प्रतिनिधियों द्वारा देवता की पिंडी पर मिट्टी छान कर मृदा लेप लगाया गया और पिंडी को बंद कर दिया। देवता के आने के बाद ही इस पिंडी से लेप को हटाया जाएगा और सालभर की भविष्यवाणी की जाएगी।

सभी देवालयों में तरीके अलग

हालांकि अधिकतर देवी-देवता स्वर्ग प्रवास से फाल्गुन मास की संक्रांति को लौट आएंगे। उसी दिन कई देवालयों में देवी-देवता अपने गुरों के माध्यम से भविष्यवाणी भी करेंगे। देव कारकून ओम प्रकाश, नंद लाल, रोशन लाल, राजेश कुमार ने कहा कि उस देव कारज के साथ ही कहीं 7 दिन बाद तो कहीं इससे अधिक दिन बाद एक और देव कारज होगा। उस देव कारज में भी देवता भविष्यवाणी करेंगे। देव कारजों के दौरान कई गतिविधियों से देवी-देवता लोगों को भविष्य को लेकर संकेत भी देंगे। 
 

Kuldeep