यहां मई महीने में सर्दी का अहसास, अधिकतम तापमान की न्यूनता ने तोड़ा पिछले 10 वर्षों का रिकॉर्ड

Monday, May 27, 2019 - 10:49 AM (IST)

सोलन (रवीन्द्र): मई का महीना भीषण गर्मी के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार मौसम के तेवर बदले-बदले से हैं। गर्मी के इस मौसम में भी बार-बार सर्दी का अहसास हो रहा है। नौणी विश्व विद्यालय में पिछले 10 वर्षों के मौजूद आंकड़ों के अनुसार इस बार अधिकतम तापमान में सबसे अधिक न्यूनता देखी गई है। यही नहीं, बार-बार मौसम ने करवट बदली है और इस महीने में 7 रेनी डेज (बारिश के दिन) दर्ज किए गए हैं। पर्यावरण विज्ञानियों के अनुसार पर्यावरण में धीरे-धीरे बदलाव दर्ज किए जा रहे हैं। इसके कारण वर्ष भर के अलग-अलग मौसम में अंतर आ रहा है। ऋतुएं थोड़ी आगे-पीछे हो रही हैं। 

इस बार मई महीने के प्रचंड गर्मी के मौसम में अभी तक ऐसा लग रहा है कि गर्मी आई ही नहीं है। इस बार सोलन जिला में मई माह में अधिकतम तापमान की न्यूनता ने बीते 10 वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है। इसका कारण रेनी डेज अधिक होना व आसमान में बादलों का छाए रहना भी है। हालांकि बारिश इतनी अधिक नहीं हुई, लेकिन जो बारिश हुई, वह धीरे-धीरे हुई और अधिक समय हुई। इससे बारिश का पानी नालों व नदियों में नहीं बहा। यह भी देखा गया है कि इस माह जो मूसलाधार बारिश (कम समय में अधिक बारिश) होती थी और फिर मौसम साफ हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में लोगों को मई के अंत तक भी गर्मी ने नहीं सताया है। इस बार मई महीने का अधिकतम तापमान 33 डिग्री सैल्सियस दर्ज किया गया है, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है।

सोलन में 9 और 22 मई को सबसे अधिक 33 डिग्री सैल्सियस तापमान रहा। वर्ष 2012 में मई महीने में अधिकतम तापमान सबसे अधिक 37.2 डिग्री सैल्सियस तक पहुंचा था, बारिश भी सबसे कम 2.6 मिलीमीटर दर्ज की गई थी और रेनी डेज भी मात्र 3 थे। यह महीना रबी फसल के पकने का भी है और फसल एकत्र करने के लिए साफ मौसम की आवश्यक्ता रहती है। जिला के अधिकतर क्षेत्रों में कई बार किसानों की कटी गेहूं व जौ की फसलें खेतों में ही भीग गईं। कई क्षेत्रों में अभी तक किसान फसलों की गहाई नहीं कर पाए हैं, जिससे उनकी मुसीबतें बढ़ी हैं।

वन विभाग व अग्रिशमन विभाग को राहत

मई महीने में भीषण गर्मी पडऩे से जंगलों व घासनियों में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में अप्रैल से लेकर जून महीने तक वन विभाग व अग्रिशमन विभाग को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। एक दिन में कई-कई घटनाएं आग लगने की सामने आती हैं और कई बार पूरी-पूरी रातें भी आग बुझाने में बीत जाती हैं। इस वर्ष अभी तक जंगलों में आग की इक्का-दुक्का घटनाएं ही सामने आई हैं। ऐसे में अभी तक वन विभाग और अग्निशमन विभाग को भी चैन की नींद मिल पा रही है।

Ekta