यहां सैकड़ों साल पुराना कुआं बना चर्चा का विषय, देखने वालों की उमड़ी भीड़ (Watch Video)

Tuesday, Feb 06, 2018 - 12:36 PM (IST)

हरिपुर (कांगड़ा): हिमाचल के कांगड़ा जिला के देहरा में खुदाई के दौरान निकला कुआं एक चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जाता है कि हरिपुर के राजकीय महाविद्यालय के पुराने भवन के प्रांगण में स्थित प्राचीन कुएं की साफ-सफाई के दौरान प्राचीन पौड़ियां व इनके साथ गैलरीनुमा पथ एवं अंदरूनी कमरा मिला है, जिसकी खिड़कियां भी बनी हुई हैं। क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने इस कुएं बारे न कभी सुना न इसे देखा। यानी सैकड़ों वर्ष पुराना ही हो सकता है यह कुआं। उल्लेखनीय है कि देहरा के विधायक ठाकुर होशियार सिंह ने हरिपुर में लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए विभाग को कॉलेज के पास बने कुएं की मुरम्मत व रखरखाव के आदेश दिए थे, क्योंकि इस स्थान पर एक कुआं मौजूद है जोकि 12 महीने पानी से भरा रहता है। 


कुएं की साफ-सफाई से पूर्व उसके ऊपर उगे विशालकाय झाड़ीनुमा पेड़ों को हटाया गया तो इस स्थान पर नजारा कुछ और ही देखने को मिला। खाली हुए स्थान प्राचीन खिड़कीनुमा कमरे जैसे आकार में दिखे, जिनको देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। प्राचीन कमरे का एक हिस्सा देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कि यह एक ही पत्थर से तराशकर बना हो। यही नहीं, कुएं की ओर जाने के लिए प्राचीन पथ पौड़ियां भी पानी निकलने के बाद दिखनी शुरू हो गई हैं। जिला भाषा अधिकारी राज कुमार ने बताया कि शिमला से विशेषज्ञ इस स्थान का दौरा करेंगे तथा यहां पर आकर इस स्थान का निरीक्षण करके आगामी उचित कार्रवाई की जाएगी। 


प्रीजर्वेशन हैरिटेज में शामिल करने के प्रयास होंगे: विधायक
शुक्रवार को देहरा के विधायक ठाकुर होशियार सिंह ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि इसको वाटर प्रीजर्वेशन हैरिटेज (सुरक्षित धरोहर) में शामिल करवाए जाने के प्रयास किए जाएंगे। फिलहाल इसकी साफ-सफाई के लिए कार्य चल रहा है।


एक नजर
हरिपुर-गुलेर में कई ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं। हरिपुर गांव इससे पूर्व जसवां गुलेर, डाडासीबा, दतारपुर के गांव व कांगड़ा रियासत के भागों में से एक हुआ करता था। जहां पर कटोच राजपूत राज किया करते थे। यह समुद्र तल से 551 मीटर अर्थात 1011 फुट की उंचाई पर 21 डिग्री पर स्थित है। यहां लगभग 365 प्राचीन छोटे-बड़े मंदिर, तालाब, कुएं व बावड़ियां हैं। क्षेत्र में कई अन्य मंदिरों की कहानियां राजा व रानियों से जुड़ी हैं।