यहां नशा माफिया बेखौफ, पुलिस की निरंतर कार्रवाई भी इनके सामने हो रही बौनी साबित

Monday, Jun 04, 2018 - 01:06 PM (IST)

इंदौरा (अजीज): प्रदेश भर में नशे के अवैध कारोबार के लिए प्रसिद्ध कांगड़ा जिला का इंदौरा क्षेत्र पिछले कुछ महीनों से नशे के कारोबार में शामिल लोगों की दिन-प्रतिदिन हो रही गिरफ्तारियां सुर्खियों में है। जिला को नशामुक्त करने के लिए विशेष सेल भी गठित किया गया है, जो अधिकांशत: इंदौरा क्षेत्र में ही सक्रिय रहता है तो वहीं पुलिस भी लगभग हर रोज अवैध शराब व हैरोइन तस्करों सहित नशीले कैप्सूल बेचने वालों को गिरफ्तार कर रही है। लेकिन क्षेत्र में माफिया कितना सक्रिय है, इसका अनुमान दिन-प्रतिदिन नशा तस्करों की हो रही गिरफ्तारियों से लगाया जा सकता है। पुलिस की रोज-रोज की कार्रवाई भी बौनी साबित हो रही है। क्योंकि पुलिस की गिरफ्त में छोटे-छोटे नशा तस्कर ही आ रहे हैं। 


पिछले काफी अर्से से कोई बड़ा सरगना पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। प्रश्न यह उठता है कि क्या पहले पकड़े गए नशा तस्करों से वह अभी तक बड़े सरगनाओं का पता नहीं लगा पाई है और न ही यह पता लगा पाई है कि क्षेत्र में नशीले पदार्थों की खेप कहां से पहुंचाई जा रही है। वर्ष 2016-17 में जिला में नशा तस्करों के विरुद्ध दर्ज किए गए लगभग 650 मामलों में 100 के करीब ऐसे लोग संलिप्त पाए गए थे, जिन्होंने नशे के कारोबार से ही लाखों-करोड़ों की संपत्तियां बना ली थीं। उनकी सम्पत्तियों को फ्रीज करने की कवायद भी जोर-शोर से चली थी, लेकिन मात्र 15 से 20 लोगों की लगभग 10 करोड़ रुपए की संपत्तियों को ही फ्रीज किया जा सका और बाकी फाइलें या तो क्लोज कर दी गईं या फिर उन पर आगामी कार्रवाई ही अमल में नहीं लाई गई। ऐसे में प्रश्न उठता है कि पिछले एक साल में पकड़े गए नशा तस्करों की परिसंपत्तियों की जांच क्यों नहीं हो रही है।


भुगतने होंगे गंभीर परिणाम
जिस गति से नशा तस्करी का धंधा क्षेत्र में फैल रहा है, यदि जल्द ही इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाली पीढ़ी के लिए अभिभावकों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। नशा तस्करी बढ़ने से क्षेत्र में चोरी की घटनाओं में भी वृद्धि दर्ज की गई है। कई बार तो ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब नशे के लिए युवकों ने घर के सामान को ही बेच डाला।


मास्टर प्लान बनाकर हो कार्रवाई
अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर करीब होने के चलते क्षेत्र में एक विशेष मास्टर प्लान के तहत काम करना जरूरी है, क्योंकि जिस तरह से 20 से 40 वर्ग किलोमीटर का एरिया नशे से प्रभावित है और जम्मू, पंजाब, चंडीगढ़ व दिल्ली तक के नशा तस्कर यहां नशे की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आते हैं, ऐसे में बहुत बड़े स्तर की अंतर्राष्ट्रयीय योजना बनाना अत्यावश्यक है।  

Ekta