यहां जहरीले सांपों का कहर शुरू, प्रशासन व विभाग के पास नहीं इलाज

Thursday, Jun 29, 2017 - 11:29 PM (IST)

घुमारवीं: बरसात का मौसम शुरू होते ही बिलासपुर जिला में जहरीले सांपों का खतरा बढ़ गया है। घरों में कई जगहों से घुसने वाले जहरीले सांपों व खेत-खलिहानों में काम करते हुए सर्पदंश से हर वर्ष जिला में 2 दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। बिलासपुर जिला में सांपों से मौतों की संवेदनशीलता के बावजूद न तो जिला प्रशासन इस मामले में अभी तक किसी तरीके से सक्रिय नजर आ रहा है और न ही स्वास्थ्य विभाग। जिला में लोगों के जीवन को बचाने के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि कहीं भी कोई मैडीकल स्पैशलिस्ट ही नहीं है। मतलब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सर्पदंश के इलाज के लिए एंटी स्नेक वीनम मुहैया करवाने का दावा कर रहे स्वास्थ्य विभाग के पास सर्पदंश के इलाज के दौरान रोगी को टीका लगते ही सामने आने वाले जोखिम से निपटने से कोई सरोकार नहीं है। विभाग सिर्फ  टीकों की उपलब्धता तक ही सीमित रह गया है।

सभी स्वास्थ्य केंद्रों में भेजे एंटी स्नेक वीनम इंजैक्शन
सी.एम.ओ. की ओर से फोन नहीं उठाने पर उनके कार्यालय अधीक्षक ने फोन पर यह दावा तो कर दिया कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी स्नेक वीनम भेज दिए गए हैं लेकिन यह उन्हें भी पता नहीं है कि कब ये एंटी स्नेक वीनम इंजैक्शन स्वास्थ्य केंद्रों में भेजे गए हैं। घुमारवीं के बी.एम.ओ. डा. के.के. शर्मा ने बताया कि उनके यहां लगभग सभी स्वास्थ्य केंद्रोंं में एंटी स्नेक वीनम है। उन्होंने कहा कि इन्हें लगाने के लिए एम.बी.बी.एस. स्तर के चिकित्सक प्रशिक्षित हैं लेकिन टीका लगाने के बाद उपजने वाले रोगी के जीवन से जुड़े हुए तमाम खतरों से निपटने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ चिकित्सक के घुमारवीं में न होने के कारण क्या किया जाए? 

घुमारवीं में पहली मौत सांप के काटे जाने से
बिलासपुर जिला में घुमारवीं उपमंडल में पहली मौत सांप के काटे जाने के कारण हुई है। यह तो सरकारी रिकार्ड की बात हो रही है क्योंकि ऐसे लोगों को सरकारी अस्पतालों में ले जाया जाता है लेकिन ऑफ  दी रिकार्ड बिलासपुर जिला में हर वर्ष सांप के काटे जाने से मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होती है। बिलासपुर जिला के मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ डा. सतीश शर्मा बताते हैं कि इस जिला में कोबरा, क्रेट व वाइपर 3 किस्म के सांपों की प्रजातियां पाई जाती हैं। ये बहुत जहरीले होते हैं और रात के अंधेरे में शिकार के लिए निकलते हैं। अक्सर घरों में चूहों व दूसरे ऐसे कीटों के पीछे ये पहुंच जाते हैं और रजाइयों व गद्दों आदि के नीचे छिप जाते हैं। जहरीले सांप रात को 1 से 4 बजे के बीच में शिकार पर निकलते हैं और इस दौरान लोग गहरी नींद में होते हैं और ये काट जाते हंै। 

रिएक्शंज के जोखिम से बचाव के लिए नहीं कोई चिकित्सक
सूत्रों ने बताया कि बिलासपुर जिला के पी.एच.सी. व सी.एच.सी. में यूं तो एंटी स्नेक वीनम मुहैया करवाने का दावा विभाग कर रहा है लेकिन हालात ये हैं कि एम.बी.बी.एस. स्तर का चिकित्सक इसे कई बार इससे जुड़े हुए जोखिम के कारण लगाने से कतराता है और अगर ग्रामीण स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों में इन टीकों को लगा भी देते हैं तो इसके मरीज के खून में जाते ही होने वाले रिएक्शंज के जोखिम से बचाव के लिए विभाग के पास वर्तमान में जिला में कोई भी चिकित्सा विशेषज्ञ नहीं है।  बिलासपुर जिला अस्पताल में तो कई महीनों से चिकित्सा विशेषज्ञ है ही नहीं बल्कि घुमारवीं में जो पहले डा. विक्रम शाह तैनात थे उन्हें अब टांडा मैडीकल कालेज भेज दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग को जिला प्रशासन की मदद से बरसात के दिनों में सांपों के जोखिम से बचने के लिए लोगों में जागरूकता अभियान छेडऩा चाहिए था लेकिन उस बारे में अभी तक विभाग और प्रशासन दोनों ही स्तर पर कोई कार्ययोजना नहीं है।

सांप के काटने पर मरीज को सीधे अस्पताल लाएं
बी.एम.ओ. घुमारवीं ने बताया कि अब स्वास्थ्य विभाग में सांपों के काटे जाने के इलाज को लेकर ताजा जानकारियां आई हैं। इनमें ऐसे मरीजों को सर्प दंश का पता चलते ही इन्हें सीधे अस्पताल पहुंचाना होता है और किसी भी प्रकार की झाड़ फूंक में नहीं पडऩा है। जहां काटा गया है उस हिस्से को हिलाना नहीं है ताकि रक्त परिसंरचण कम हो। उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान चिकित्सक सबसे पहले यह पता लगाता है कि जहर का असर शरीर के किन हिस्सों में हो रहा है? 3 तरह का असर होता है जिसमें जहर खून में, दिमाग व दिल पर तीनों जगहों पर असर करना शुरू करता है। इसके लिए लक्षणों के अलावा कुछ लैब टैस्ट भी तुरंत करवा लिए जाते हैं और एंटी स्नेक वीनम के कम से कम वॉयल की डोज ग्लूकोस में तुरंत चढ़ाए जाने का प्रावधान है। इसमें पहली डोज में रोगी की उम्र नहीं देखी जाती है। उन्होंने बताया कि सबसे जरूरी है कि जल्द से अस्पताल पहुंचे और उसके बाद बिना वक्त गंवाए इलाज। जितना मरीज को इलाज लेट मिलेगा उतना ही वह मौत के मुंह जाएगा।